शिमला। न्यूज व्यूज पोस्ट।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा पेश किए गए हिमाचल प्रदेश के बजट 2025-26 को लेकर सियासी गर्मी तेज हो गई है। एक ओर सरकार इसे विकासोन्मुखी और जनहितकारी बता रही है, वहीं विपक्ष इसे राज्य की वित्तीय बदहाली का प्रतीक करार दे रहा है। बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, पर्यटन और वानिकी को प्राथमिकता दी गई है, लेकिन केंद्र से आर्थिक सहयोग न मिलने के चलते चुनौतियाँ भी बढ़ी हैं। डॉ अशोक कुमार सोमल
स्वराज सत्याग्रही व पर्यावरण प्रेमी संविधान संकल्पित ने बताया की
हिमाचल प्रदेश को जीएसटी क्षतिपूर्ति के रूप में मिलने वाली सहायता समाप्त होने से बड़ा झटका लगा है। पहले यह राशि 10,000 करोड़ रुपये तक पहुँचती थी, लेकिन अब यह बंद हो गई है। इसके अलावा, पुरानी पेंशन योजना (OPS) लागू करने के बाद केंद्र सरकार ने 3,200 करोड़ रुपये की विशेष सहायता रोक दी, जिससे राज्य की वित्तीय स्थिति और जटिल हो गई है।
प्रदेश सरकार ने जल कर (Water Cess) के जरिए 4,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई थी, लेकिन इसे भी केंद्र ने नामंजूर कर दिया। साथ ही, हिमाचल के घने वनों का देश के पर्यावरण संतुलन में अहम योगदान होने के बावजूद राज्य को इसके बदले कोई विशेष सहायता नहीं दी जा रही।
बजट की प्रमुख घोषणाएँ
1. शिक्षा: 9,849 करोड़ रुपये का बजट आवंटित, जिसमें सरकारी स्कूलों और कॉलेजों के उन्नयन पर जोर।
2. स्वास्थ्य: 3,481 करोड़ रुपये निर्धारित, जिससे ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती मिलेगी।
3. सामाजिक न्याय: 2,533 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिसमें वृद्धावस्था पेंशन, दिव्यांग सहायता और महिला कल्याण योजनाएँ शामिल हैं।
4. रोजगार: कृषि, पशुपालन, बागवानी, वानिकी और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएँ।
5. जैविक कृषि:
मक्की: 4,000 रुपये/क्विंटल
गेहूं: 6,000 रुपये/क्विंटल
हल्दी: 9,000 रुपये/क्विंटल – सरकार सीधे खरीदेगी।
दूध खरीद मूल्य: गाय का 51 रुपये/लीटर और भैंस का 61 रुपये/लीटर तय।
राजनीतिक बयानबाजी चरम पर
नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर ने बजट को “निराशाजनक और दिशाहीन” बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार प्रदेश को वित्तीय संकट की ओर धकेल रही है और बढ़ते कर्ज का कोई समाधान नहीं है। वहीं, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि “यह बजट हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। केंद्र सरकार से सहयोग नहीं मिलने के बावजूद हम प्रदेश के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
बढ़ता कर्ज और वित्तीय संतुलन
हिमाचल प्रदेश पर बढ़ते कर्ज को लेकर भी चिंता जताई जा रही है। वर्ष 1993 के बाद से कांग्रेस और भाजपा की सरकारों ने लगातार ऋण लिया है, जिससे आज राज्य पर भारी कर्ज चढ़ चुका है। मौजूदा सरकार को इस वित्तीय बोझ को संतुलित करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
निष्कर्ष
हिमाचल प्रदेश का बजट 2025-26 संसाधनों की कमी के बावजूद विकास पर केंद्रित है। लेकिन केंद्र सरकार से सहयोग न मिलने के कारण कई योजनाओं के क्रियान्वयन में बाधाएँ आ सकती हैं। यदि राज्य सरकार बजट में घोषित सभी योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू कर पाती है, तो यह हिमाचल प्रदेश के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। अब देखना यह होगा कि यह बजट हिमाचल के आर्थिक भविष्य को कितनी मजबूती देता है।