शिमला, 28 फरवरी न्यूज व्यूज पोस्ट– हिमाचल प्रदेश सरकार पारदर्शी व जवाबदेह प्रशासन की दिशा में एक और कदम बढ़ा रही है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज सचिवालय में आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में राज्य के विभिन्न विभागों में संवेदनशील पदों पर आसीन अधिकारियों के स्थानांतरण की प्रक्रिया को तेज करने के निर्देश दिए। उन्होंने राज्य कर एवं आबकारी विभाग समेत अन्य विभागों में इस कार्य को प्राथमिकता से पूरा करने की बात कही।
खनन क्षेत्र में बड़ा सुधार, पारदर्शिता होगी सुनिश्चित
मुख्यमंत्री ने खनन पट्टों की नीलामी प्रक्रिया में हिमाचल प्रदेश वन विकास निगम को शामिल करने का निर्देश दिया। इससे न केवल खनन क्षेत्र में पारदर्शिता आएगी, बल्कि अवैध खनन पर भी अंकुश लगेगा। साथ ही, जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट निधियों के उपयोग के लिए नए नियम बनाए जाएंगे, जिससे यह धन समाज के वंचित वर्गों के कल्याण पर खर्च किया जा सके।
खनन से राजस्व में ऐतिहासिक वृद्धि:
मुख्यमंत्री ने बताया कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कार्यकाल (2022-23) में खनन से राज्य को 240 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था, जबकि वर्तमान सरकार के व्यावहारिक प्रयासों से यह आंकड़ा 314 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इस वित्तीय वर्ष के अंत तक 360 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया है, जो केवल दो वर्षों में 120 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वृद्धि को दर्शाता है।
हरित उद्योगों को मिलेगा बढ़ावा
मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार पर्यावरण-अनुकूल उद्योगों को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दे रही है। पर्यटन, जल विद्युत, खाद्य प्रसंस्करण, डाटा भंडारण, और डेयरी क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इन पहलों से न केवल पर्यावरण संरक्षण को बल मिलेगा, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार और स्वरोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।
सस्ती विद्युत से उद्योगों को मिलेगा लाभ
प्रदेश सरकार ने उद्योगों को सस्ती विद्युत उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता दोहराई। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पड़ोसी राज्यों की तुलना में कम दरों पर बिजली उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे औद्योगिक निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
इस बैठक में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, अतिरिक्त मुख्य सचिव आर.डी. नज़ीम, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर, निदेशक उद्योग डॉ. यूनुस सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
सरकार की प्रतिबद्धता:
प्रदेश सरकार का लक्ष्य पारदर्शी शासन, हरित औद्योगिकीकरण और आर्थिक सशक्तिकरण के माध्यम से हिमाचल को एक नए विकास मॉडल की ओर अग्रसर करना है।