शिमला। न्यूज व्यूज पोस्ट।
चौपाल विकास खंड में मिशन पॉलीब्रिक को लेकर खंड विकास अधिकारी विनीत ठाकुर की अध्यक्षता में विशेष बैठक का आयोजन वीरवार को किया गया। मिशन पाॅलीब्रिक के तहत पूरे खंड में 11 सप्ताह के भीतर 55 क्विंटल प्लास्टिक के कूड़े से पाॅलीब्रिक बनाई गई है। अब इन पाॅलीब्रिक का चंडीगढ़ स्थित रॉक गार्डन की तर्ज पर चौपाल खंड विकास कार्यालय के साथ एक प्लास्टिक माॅडल गार्डन विकसित करने के लिए किया जाएगा। अक्टूबर माह में इस माॅडल गार्डन का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। यह मॉडल न केवल स्थायित्व को प्रोत्साहित करेगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्लास्टिक कचरे से निजात पाने का एक स्थायी समाधान भी प्रस्तुत करेगा।
इस बैठक में मिशन पॉलीब्रिक के तहत किए गए कार्यों की समीक्षा की गयी वहीं इस पहल में योगदान देने वाले सदस्यों तथा मिशन पाॅलीब्रिक के तहत बेहतर कार्य करने वाले स्वयं सहायता समूहों को सम्मानित किया गया।
इसी कड़ी में ग्राम संगठन बमटा प्रथम स्थान पर रहा, जिसने 295 किलो प्लास्टिक वेस्ट रैपर इत्यादि बोतलों में भरकर एकत्रित किया। द्वितीय स्थान पर 255 किलो प्लास्टिक एकत्रित करने वाला टिक्करी ग्राम संगठन रहा, जबकि तृतीय स्थान 240 किलो प्लास्टिक के साथ ग्राम संगठन गोरली मड़ावग ने हासिल किया। इन सभी को खंड विकास अधिकारी विनीत ठाकुर ने पुरस्कार देकर सम्मानित किया।
मिशन पॉलीब्रिक का उद्देश्य प्लास्टिक कचरे के निपटारे के लिए रचनात्मक समाधान खोजना और ग्रामीण क्षेत्रों में प्लास्टिक प्रदूषण को कम करना है।
इसके अतिरिक्त ग्राम पंचायत किरण से मास्टर ट्रेनर तारा चौहान द्वारा प्लास्टिक वेस्ट से बनाई गई हस्त निर्मित वस्तुओं की प्रदर्शनी भी लगाई गई। ग्राम पंचायत पभान से सुनीता देवी ने भी इस प्रतियोगिता में भाग लिया। इन्हें भी सम्मानित किया गया।
स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के सदस्य, ग्राम संगठन के सदस्य, और क्लस्टर स्तर महासंघ के सदस्य शामिल हुए।
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खंड विकास अधिकारी विनीत ठाकुर ने कहा कि मिशन पाॅलीब्रिक में 55 क्विंटन पाॅलीब्रिक बनकर तैयार हुई है। इस अभियान में क्षेत्र की 7500 के करीब महिलाओं ने अपनी सहभागिता निभाई है। इन पाॅलीब्रिक से चौपाल में जल्द ही एक मॉडल गार्डन का निर्माण किया जाएगा, जोकि चंढीगढ़ के राॅक गार्डन की तर्ज पर होगा। यह अभियान भविष्य में भी जारी रहेगा, ताकि नॉन-बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक का सही तरीके से निपटारा किया जा सके। मिशन पॉलीब्रिक एक महत्वपूर्ण कदम है जो न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देगा, बल्कि ग्रामीण समुदायों को भी सशक्त करेगा। इस मिशन में बेहतर कार्य करने वाले ग्राम संगठन को आज सम्मानित किया गया है।
7500 महिलाओं ने लिया हिस्सा
मिशन पाॅलीब्रिक विकास खण्ड चौपाल में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत जुड़ी लगभग 7500 महिलाओं के माध्यम से 27 जून 2024 को आरम्भ किया गया था। इस अभियान में 85 ग्राम संगठन की महिलाओं ने हिस्सा लिया। इसमें सर्वाधिक प्लाॅस्टिक कूड़ा एकत्रित वाले 3 ग्राम संगठनों को खण्ड स्तरीय प्रतियोगिता के दौरान समान्नित किया गया। इस अभियान से एकत्रित प्लास्टिक, जैसे कि बिस्कुट, टॉफी, कुरकुरे, चिप्स और अन्य प्रकार के बायो नॉन डिग्रेडेबल कचरे को प्लास्टिक की बोतलों में भर कर पाॅलीब्रिक बनाना था। फिर इन पाॅलीब्रिक का इस्तेमाल निर्माण कार्य के लिए करना है।
पर्यावरण के लिए घातक है प्लास्टिक
प्लास्टिक वेस्ट हजारों साल तक पर्यावरण में रहकर विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों की वजह बनता है जिससे वायु , जल, मृदा प्रदूषित होती है। इसलिए मिशन पाॅलीब्रिक अभियान से न केवल सामुदायिक भागीदारी से पूरे चौपाल की सफाई का अलख जगा है। बल्कि इस प्लास्टिक वेस्ट से पॉलीथीन की ईंटें बनाकर उनका सदुपयोग विभिन्न निर्माण कार्यों जैसे कि बेंच मेकिंग, रोड मेकिंग, वॉल मेकिंग इत्यादि की दिशा में जागरूकता के तौर पर भी होने लगा है।
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