रामपुर बुशहर / विशेषर नेगी —-
-एशिया के सबसे बड़ी भूमिगत जल विद्युत परियोजना के किन्नौर
जिला स्थित नाथपा बांध स्थल पर गंगा की तर्ज पर हुई सतलुज नदी की
आराधना। काशी से आए विद्वान पंडितों ने विधि विधान से की आराधना। इस
दौरान नाथपा सतलुज नदी तट हुआ भक्तिमय। विद्युत निर्माण क्षेत्र में
देश-विदेश में नाम कमा चुकी एसजेवीएन के अधिकारियों ने सतलुज को बताया
जीवनदायिनी एवं बहुमूल्य संपदा।
-हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से करीब 175 किलोमीटर दूर
किन्नौर जिला के नाथपा बाँध पर सतलुज नदी की काशी के विद्वान पंडितों के
माध्यम से आराधना हुई। एशिया की सबसे बड़ी भूमिगत जल विद्युत परियोजना
15 मेगावाट की नाथपा झाकडी के बाँध स्थल पर परियोजना निर्माता
एसजेवीएन के द्वारा इस धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। भारत एवं
हिमाचल सरकार संयुक्त उपक्रम एसजेवीएन जो आज प्रदेश देश ही नहीं विदेशों
में भी विद्युत निर्माण के क्षेत्र में डंका बजा चुकी है की नीव सतलुज
नदी पर इसी परियोजना के निर्माण से रखी गई। सतलुज नदी तिब्बत में
मानसरोवर झील के निकट 4600 मीटर ऊंचाई पर राक्षस ताल से निकलकर हिमाचल
प्रदेश के किन्नौर जिला के शिपकिला पहाड़ी के नीचे से होते हुए किन्नौर
में प्रवेश करती है। सतलुज नदी की कुल लंबाई 1450 किलोमीटर है और जिसमें
1050 किलोमीटर का सफर यह भारत में ही तय करती है। अगर बात करें हिमाचल
प्रदेश में तो 320 किलोमीटर क्षेत्र में सतलुज नदी बहती है। अकेले
किन्नौर जिले में ही 130 किलोमीटर का सफर इस नदी का है। सतलुज नदी का
पौराणिक ग्रंथों में भी कई तथ्यों के साथ वर्णन मिलता है। ऋग्वेद में
शुतुद्रि शतरुद्र के नाम से भी पुकारा गया है। किन्नौर में इसे आज भी
जाँगती यानी सोने का पानी वाली नदी के नाम से जाना जाता है और इसे
स्थानीय आस्था और परंपरा के अनुसार गंगा नदी की तरह शुद्ध माना जाता है।
सतलुज नदी पर 1500 मेगावाट की नाथपा झाकड़ी जल विद्युत परियोजना की नीव
रखी गई थी और इसी परियोजना के सफल निष्पादन के बाद एसजेपीएनएल आज देश
के कई राज्यों में सौर ,पवन, ताप ऊर्जा निर्माण में भी कदम रख चुका है।
इस के आठ साथ विदेशों नेपाल और भूटान में भी जल विद्युत परियोजनाओं का
सफलतापूर्वक निर्माण किया जा रहा है। एसजेवीएन के उच्च अधिकारियो ने
अपनी सफलता का श्रेय सतलुज नदी को देते हुए इसे जीवनदायिनी मां माना और
इसकी आराधना 2018 से आरंभ की। वे वर्ष में एक बार सतलुज नदी की आराधना
कर लोगों में भी संदेश पहुंचाना चाहते हैं कि सतलुज नदी की मानव जीवन
एवं हिमालय क्षेत्र में कितना महत्व व जरूरत है। एसजेवीएन के अध्यक्ष
एवं प्रबंध निदेशक नन्द लाल ने कहा सतलुज नदी का आभार व्यक्त करते
एसजेवीएन के अधिकारियो ने कहा आज इस मुकाम पर वे पहुंचे हैं , वे उर्जा
क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है चाहे हो या अन्य
संसाधन जुटाए जा रहे ही। उन्होंने इस दौरान लोगों से अपील की जल
विद्युत परियोजनाओं का निर्माण देश की उन्नति विकास एवं जरूरतों की
पूर्ति के लिए आवश्यक है। इसलिए परियोजनाओं के निर्माण में विघ्न ना
डालें। उन्होंने लोगों से अपील की कि समृद्धि एवं खुशहाली के लिए जल
विद्युत परियोजनाओं का निर्माण लाजमी है। इस दौरान निगम के निदेशक
कार्मिक गीता कपूर ने भी सतलुज नदी के महत्व और एसजेवीएन सफलता में
योगदान का जिक्र किया। इस से पूर्व परियोजना निर्माण क्षेत्र के लोगो
ने निगम अधिकारियो और काशी से आये विद्वानों का स्थानीय वेश भूषा में
सजधज कर परम्परानुसार वाध्ययंत्रो से स्वागत किया।-एसजेवीएन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नंदलाल ने बताया कि
कंपनी का नाम ही सतलुज जल विद्युत निगम से रखा गया था यह भारत सरकार और
हिमाचल सरकार का साझा उपक्रम है। वर्ष 2018 से सतलुज आराधना शुरू की थी।
सतलुज एक जीवनदायिनी है यह न केवल एसजेवीएन परिवार के लिए बल्कि
प्रत्येक हिमाचल प्रदेश , पंजाब यानी जहां जहां से होकर नदी गुजरती
वहां के लोगों के लिए एक जीवनदायिनी के रूप में है। यह एक बहुमूल्य संपदा
है। नदियों को तो हमने माता माना है ,पूज्य माना है। उन्होंने बताया कि
विश्व पटल पर आज उनकी कंपनी का नाम सतलुज की वजह से ही पहचान मिली
है। उन्हें सतलुज के नाम से ही जाना जाता ही।