निरमण्ड। न्यूज़ व्यूज पोस्ट–आजादी के सात दशक गुजर जाने के बाद भी हिमाचल प्रदेश के कई ग़ांव ऐसे है जहां एक से डेढ़ घण्टे पैदल सफर करना सामान्य बात है। लेकिन जब कोई बीमार हो जाता है तो मुश्किले असहनीय और पीड़ादायी होती है। इस दौरान सब से पहले मरीज को उठाने के लिए देसी जुगाड़ बना कर कंधों पर उठाया जाता है।और फिर संकरे व जोखिम पूर्ण पगडंडियों में घण्टो सफर के बाद मरीज को वाहन मार्ग पहुँचाना पड़ता है। जिस के पास संसाधन और सामर्थ्य नही ऐसे लोग बीमार परिवार को भगवान भरोसे छोड़ देते है। अगर वाहन मार्ग हो तो गरीब से गरीब आदमी हिम्मत कर ही लेता की मरीज को हॉस्पिटल पहुंचाए। बहर हाल निरमण्ड उपमंडल के बागीपुल के समीप नगड़ी व आस पास के ग़ांव के लोग वर्षो से सड़क के लिए संघर्ष कर रहे है। अनुसूचित जाति बहुल इस ग़ांव के लोगो ने जन मंच से ले कर सीएम हेल्पलाइन का भी सहारा लिया लेकिन अंत मे आश्वासनों के पिटारे से पेट भर दिया गया। ऐसा ही कठिनाई आज बीमार रीना देवी पत्नी कौल राम निवासी गांव नगड़ी डाकघर शामानी तहसील निरमण्ड जिला कुल्लू हिमाचल प्रदेश के साथ भी सामने आई। जैसे तैसे मरीज को स्थानीय लोगो की सहायता से वाहन मार्ग पहुंचाया गया। मरीज के पति कॉल राम व ग्रामीण ग्राम वासियों नरेश कुमार,रविन्द्र कुमार,रणवीर सिंह,ललित कुमार मनीष कुमार,कौल राम ,धर्म पाल तथा सुजल कुमार ने बताया की मरीज को बड़ी मुश्किल से उठा कर उन्होंने पहुँचाया। आज उन्हें इन हालातों से गुजरते स्वतंत्र भारत मे रह रहे है अभ्यास नही होता। उन्होंने कहा गांव बागीनाला से ग़ांव नगड़ी के लिए कई बार सर्वे हो चुका है।
अनुसूचित जाति उप योजना के तहत वर्ष 2016 में स्वीकृत है । लेकिन सड़क निकालने का कार्य शुरू नही हुआ है।
