रामपुर 17फरबरी । न्यूज़ व्यूज पोस्ट–
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हिमाचल प्रान्त सह मंत्री प्रदीप ठाकुर ने प्रेस वार्ता में कहा कि 9 जनवरी 2022 को तंजावुर जिले के सेकर्ड हार्ट गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल में एक छात्रा ने जबरन धर्म परिवर्तन के लिए दवाब बनाने पर जहर निगला। स्कूल प्रशासन द्वारा धर्मांतरण के लिए बनाये जा रहे दवाब से तंग आकर कीटनाशक का सेवन कर आत्महत्या की कोशिश की और 19 जनवरी को उसकी मृत्यु हो गई । आत्महत्या करने पर मजबूर हुई लावण्या को न्याय दिलाने की लड़ाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पूरे देश भर के अंदर लड़ रही है। जब 14 फरवरी को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता इस मामले में राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री आवास के बाहर धरना प्रदर्शन कर रहे थे तो सरकार ने बर्बरता पूर्वक तरीके से कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज करते हुए कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया । उस के बाद सरकारी सेवकों पर हमला करने जैसी गैर जमानती धाराएं लगने का कार्य किया। ताकि उन्हें अधिक समय तक गिरफ्तार करके रखा जा सके, जिसका अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद विरोध करती है। यह आरोप सरासर गलत है जिसकी पुष्टि उस पूरे प्रदर्शन के वीडियो में देखने को मिलेगी। उन्होंने कहा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने किसी भी सरकारी अधिकारी को कोई हानि नहीं पहुंचाई है, किसी भी अधिकारी को कोई खरोच तक इस विरोध प्रदर्शन में नहीं आई है।
अपने आप को धर्मनिरपेक्ष कहने वाली DMK पार्टी की सरकार लावण्या के अंतिम ब्यान के बाबजूद भी कोई कार्यवाही नही कर रही है। जिस तरह से ईसाई मिशनरियों के समर्थन में स्टालिन सरकार खड़ी है यह उनके छदम धर्मनिरपेक्षता को दर्शाता है।
तमिलनाडु की स्टालिन सरकार जिस तरीके से लावण्या की आत्महत्या मामले में मद्रास उच्च न्यायालय के निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती देते है तथा उसे घर के अंतर कलह का नाम देती ही वह यही दर्शाता है कि केवल हिंदू धर्म को कोसना और ईसाई मिशनरी को संरक्षण देने का काम डीएमके की धर्मनिरपेक्षता में आता है।
स्टालिन सरकार की धर्मनिरपेक्षता की पोल उस दिन ही खुल गई थी जब इस केस में गिरफ्तार हुई वार्डन की जमानत के बाद तमिलनाडु सरकार के विधायक उसका स्वागत करते हैं।
यह घटना स्पष्ट करती है कि DMK के लिए धर्म निरपक्षता क्या है? अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद तमिलनाडु सरकार के इस सांप्रदायिकरण के खिलाफ पूरे देश भर के अंदर आंदोलन करेगी। वही झूठी धाराएं लगाकर अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी सहित अन्य 33 कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग विद्यार्थी परिषद करती है।
प्रान्त सह मंत्री प्रदीप ठाकुर ने जानकारी देते हुए कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले का स्वागत करती है जिसमें इस केस की सीबीआई जांच के आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने दिए है तथा आशा करती है इस मामले में सीबीआई जल्द से जल्द कार्रवाई करेगी। जिससे जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों में अन्य लोगों पर भी कार्रवाई होगी व इस तरीके के वातावरण पर नकेल कसेगी। ताकि किसी भी तरीके से जबरन धर्म परिवर्तन के कारण किसी को अपनी जान गंवानी ना पड़े।