शिमला,न्यूज व्यूज पोस्ट।
हिमाचल प्रदेश में नशे के कारोबार को खत्म करने के लिए अब तक का सबसे बड़ा अभियान शुरू किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने पुलिस विभाग को अगले छह महीनों में मिशन मोड पर काम करने के निर्देश दिए हैं। सरकार न केवल नशा तस्करों पर सख्त कार्रवाई करेगी, बल्कि उनकी संपत्तियों को जब्त करने और बैंक खातों की जांच करने का भी आदेश दिया गया है।
सरकारी कर्मचारी भी नहीं बचेंगे
यदि कोई सरकारी कर्मचारी नशे के कारोबार में लिप्त पाया जाता है, तो उसे सीधे सेवा से बर्खास्त किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि किसी भी स्तर पर ढील नहीं दी जाएगी।
फार्मा कंपनियों पर कड़ी नजर
सरकार ने उन फार्मा कंपनियों पर भी शिकंजा कसने का निर्णय लिया है जो साइकोट्रोपिक दवाओं की अवैध बिक्री में संलिप्त हैं। ऐसी कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए जाएंगे और एफआईआर दर्ज होगी।
विशेष न्यायालय और एंटी ड्रग एक्ट
राज्य सरकार एनडीपीएस मामलों की तेजी से सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय स्थापित करेगी। साथ ही, आगामी बजट सत्र में हिमाचल प्रदेश एंटी ड्रग एक्ट प्रस्तुत किया जाएगा, जिससे पीड़ितों और तस्करों के बीच स्पष्ट अंतर किया जाएगा।
पंचायतों को मिलेगी जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री ने पंचायत स्तर तक नशा तस्करों और पीड़ितों की मैपिंग करने का आदेश दिया है। पंचायत प्रतिनिधियों और नंबरदारों को भी इस अभियान में शामिल किया जाएगा।
बदलाव की ओर हिमाचल
राज्य सरकार ने सिरमौर जिले में आधुनिक पुनर्वास केंद्र स्थापित करने की घोषणा की है, जिससे नशे की लत से जूझ रहे लोगों को नया जीवन मिल सके। इसके अलावा, व्यापक जन-जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा, ताकि लोग नशे के दुष्प्रभावों को समझ सकें।
हिमाचल प्रदेश में नशा विरोधी यह अभियान पूरे देश के लिए एक उदाहरण बन सकता है। अब देखना होगा कि आने वाले महीनों में इस मुहिम का कितना प्रभाव पड़ता है और राज्य नशामुक्ति की दिशा में कितनी प्रगति करता है।