शिमला। न्यूज व्यूज पोस्ट।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में औषधीय गुणों से भरपूर भांग की नियंत्रित खेती को बढ़ावा देने का फैसला किया है। इस पहल का मकसद प्रदेश में औद्योगिक और औषधीय उपयोग के लिए सुरक्षित और नियंत्रित भांग की खेती को बढ़ावा देना है, जिससे किसानों को आर्थिक लाभ भी मिलेगा।
कृषि विश्वविद्यालय तैयार करेगा औषधीय भांग के पौधे
कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर और बागवानी विश्वविद्यालय नौणी अपने-अपने फार्मों पर ट्रायल के तौर पर औषधीय भांग के पौधे उगाएंगे। ट्रायल सफल रहने पर राज्य में बड़े पैमाने पर खेती की योजना है। इसके तहत विश्वविद्यालय बीज खरीदने से पहले फार्मा कंपनियों से परामर्श करेगा, ताकि वही प्रजाति चुनी जाए, जो दवा उद्योग के लिए उपयुक्त हो।
बीज की खरीदारी से पहले फार्मा कंपनियों से होगी चर्चा
सरकार ने विश्वविद्यालयों को निर्देश दिए हैं कि बीज खरीद से पूर्व उन फार्मा कंपनियों से संपर्क करें, जो भांग से औषधि तैयार करती हैं। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि केवल उच्च औषधीय गुणों वाली भांग ही उगाई जाए, जिसमें नशीले तत्व न्यूनतम हों।
इन देशों और राज्यों से मंगाए जा सकते हैं बीज
हिमाचल प्रदेश बीजों के लिए उन क्षेत्रों से संपर्क करेगा, जहां भांग की नियंत्रित और औद्योगिक खेती पहले से की जा रही है। इसमें इज़राइल, नीदरलैंड और कनाडा जैसे देश शामिल हैं। भारत में उत्तराखंड, मध्यप्रदेश और जम्मू-कश्मीर से भी बीज मंगाए जा सकते हैं।
भविष्य में 15000 करोड़ का वैश्विक बाजार
भविष्य में भांग आधारित उत्पादों का वैश्विक बाजार तेज़ी से बढ़ने वाला है। अनुमान है कि वर्ष 2027 तक यह बाजार करीब 15,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। हिमाचल सरकार की योजना है कि शुरुआती चरण में प्रदेश को 100 से 200 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय हो।
जंगली भांग की खेती पर रहेगा प्रतिबंध
कृषि मंत्री प्रो. चंद्र कुमार ने स्पष्ट किया कि हिमाचल में केवल औषधीय भांग की खेती की अनुमति होगी। जंगली भांग, जिसमें नशे का तत्व अधिक होता है, उसकी खेती पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार नशा विरोधी नीति के तहत बच्चों और युवाओं को सुरक्षित रखने के लिए यह कदम उठा रही है।