शिमला। न्यूज व्यूज पोस्ट।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य में स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण को लेकर बड़ा कदम उठाया है। अब राज्य के सभी होटल, रेस्टोरेंट, होम-स्टे, ढाबा और बीएंडबी संचालकों को अपने प्रतिष्ठानों में यह स्पष्ट करना अनिवार्य होगा कि कचरा फैलाने या गलत तरीके से कचरा फेंकने पर 5,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
कोर्ट ने यह आदेश साफ किया है कि यह चेतावनी रिसेप्शन क्षेत्र में नोटिस या पोस्टर के रूप में चिपकाई जाए, ताकि हर आगंतुक को इसकी जानकारी हो। साथ ही, गीले और सूखे कचरे के लिए अलग-अलग डस्टबिन रखना अब अनिवार्य कर दिया गया है।
न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य में बढ़ते कचरा प्रबंधन और वायु प्रदूषण से जुड़े मामलों पर सुनवाई के बाद जारी किया। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ कागजों में नहीं, जमीन पर दिखना चाहिए स्वच्छता का असर।
हर पंचायत को मिलेंगे चालान-बुक:
कोर्ट ने ग्रामीण विकास, शहरी विकास, पर्यावरण एवं विज्ञान और पंचायती राज विभाग को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि राज्य की सभी पंचायतों और स्थानीय निकायों को चालान-बुक उपलब्ध कराई जाए। इसका मकसद हिमाचल प्रदेश गैर-जैव-निम्नीकरणीय कचरा (नियंत्रण) अधिनियम, 1995 को प्रभावी ढंग से लागू करना है।
साफ-सफाई अब होगी जिम्मेदारी नहीं, मजबूरी:
हाईकोर्ट का यह आदेश साफ संदेश देता है कि पर्यटन स्थलों को साफ-सुथरा बनाए रखना केवल प्रशासन का काम नहीं, बल्कि हर व्यवसायी और नागरिक की जिम्मेदारी है। अब गंदगी फैलाने वालों को माफ नहीं किया जाएगा।