सोलन (न्यूज व्यूज पोस्ट): हिमाचल प्रदेश की दवा निर्माण इकाइयों पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। केन्द्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की ताजा जांच में प्रदेश के 36 दवा सैंपल फेल हो गए हैं। इस मामले ने हिमाचल की फार्मा इंडस्ट्री की साख पर गंभीर संकट खड़ा कर दिया है।
सीडीएससीओ के ड्रग अलर्ट के मुताबिक, देशभर में 103 दवा सैंपल फेल हुए हैं, जिनमें अकेले हिमाचल की 36 दवाएं शामिल हैं। सबसे ज्यादा 6 सैंपल बीबीएन (बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़) के एक उद्योग के हैं, जो पहले भी गुणवत्ता मानकों पर खरा नहीं उतरा था। वहीं, 3 से 4 अन्य उद्योगों की 2-2 दवाएं भी जांच में फेल पाई गई हैं।
बुखार, दर्द और मानसिक रोग की दवाएं भी संदिग्ध
फेल हुए सैंपल में दर्द निवारक, मानसिक रोग, एलर्जी, बुखार, अल्सर और संक्रमण जैसी बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं शामिल हैं। इन दवाओं का उत्पादन हिमाचल के बीबीएन, सोलन, कालाअंब, परवाणू और कांगड़ा जिला के संसारपुर टैरस में हुआ था। इसके अलावा, गुजरात, तमिलनाडु, जम्मू, चेन्नई, आंध्र प्रदेश, मुंबई, मध्यप्रदेश, बेंगलुरु, हैदराबाद, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, उत्तराखंड, सिक्किम, पंजाब, बिहार और तिरुवनंतपुरम के भी कई दवा सैंपल जांच में फेल पाए गए हैं।
सरकार का सख्त रुख, उद्योगों पर होगी कार्रवाई
स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल ने स्पष्ट किया है कि बार-बार फेल होने वाले दवा उद्योगों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने ड्रग विभाग को निर्देश दिए हैं कि दोषी कंपनियों पर सख्ती बरती जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि बाजार में केवल उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं ही पहुंचें।
फार्मा हब की साख दांव पर
हिमाचल प्रदेश देश का सबसे बड़ा फार्मा हब माना जाता है, जहां से बड़ी मात्रा में दवाओं की आपूर्ति होती है। लगातार दवाओं के सैंपल फेल होने से न केवल उद्योगों की साख को नुकसान पहुंच सकता है, बल्कि मरीजों की सेहत भी खतरे में पड़ सकती है। सरकार और संबंधित विभागों के लिए यह एक चेतावनी है कि दवा निर्माण में गुणवत्ता मानकों को सख्ती से लागू किया जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।