शिमला, न्यूज व्यूज पोस्ट।
शिमला में आयोजित स्वराज सत्याग्रह यात्रा के अंतर्गत MSHIPA फेयरलॉन में तीन दिवसीय आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस प्रशिक्षण में स्वर्ग सोसाइटी जिला कांगड़ा की ओर से अधीक्षक अरुणा कुमारी के नेतृत्व में सहभागिता की गई।
कार्यक्रम का उद्देश्य आपदा के समय जान-माल की क्षति को न्यूनतम करना और आम नागरिकों को बचाव, राहत और तत्पर प्रतिक्रिया के लिए तैयार करना था। भारत सरकार द्वारा 2005 में बनाए गए आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत अब देशभर में समुदायों को प्रशिक्षण देकर तैयार किया जा रहा है, और हिमाचल भी इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
हिमाचल की आपदा संवेदनशीलता पर फोकस
हिमाचल प्रदेश भूकंप के उच्च जोखिम क्षेत्र (Seismic Zone V) में आता है। वर्ष 1905 के कांगड़ा भूकंप की भयावहता को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करते हुए यह बताया गया कि आज की घनी आबादी और बहुमंजिला निर्माणों के बीच अगर ऐसा कोई हादसा फिर हो जाए, तो क्षति अकल्पनीय होगी।
भूकंप रोधी इमारतें, जागरूकता और समुदाय आधारित तैयारी ही इससे निपटने के सशक्त उपाय हैं।
प्रशिक्षण में शामिल प्रमुख पहलू:
- भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, जंगलों की आग और यातायात दुर्घटनाओं जैसे विविध आपदाओं से निपटने के तौर-तरीकों की जानकारी
- मिस्त्रियों, पंचायत प्रतिनिधियों और स्वयंसेवकों को तकनीकी प्रशिक्षण
- समुदाय-आधारित आपदा योजना का निर्माण
- जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न खतरों की समझ और उनके प्रति सतर्कता
2023 की बारिश से सबक:
हिमाचल में वर्ष 2023 की बरसात में 10,000 करोड़ रुपए से अधिक की क्षति हुई। सड़कों, घरों और सार्वजनिक संपत्तियों को भारी नुकसान हुआ। यह साफ संकेत है कि हर साल आने वाली बाढ़ और लैंडस्लाइड अब नई चुनौती हैं।
स्वर्ग सोसाइटी की भूमिका:
स्वर्ग सोसाइटी, जो वर्ष 2012 से आपदा प्रबंधन में सक्रिय है, अब पंचायत स्तर पर स्थानीय आपदा योजना बनाने में सहयोग करेगी। संगठन ने यह संकल्प लिया कि ज़िला कांगड़ा के फतेहपुर सब-डिविजन में भी यह प्रक्रिया तेज की जाएगी। किसी भी आपात स्थिति में संस्था अपनी टीम के साथ जिला प्रशासन को हर संभव सहयोग देगी।