रामपुर बुशहर -विशेषर नेगी —-
–हिमाचल प्रदेश के ऊपरी शिमला के सेब बहुल क्षेत्र में बरसात ने
बागवानों कर दिया कंगाल। सेब की तैयार फसल के साथ उजड़ गए बाग़ बगीचे।
रिहायशी मकान भी कई स्थानों में ढह गए और कइयों में आई मोटी दरारे।
सरकारी संबंधित तंत्र प्रभावितो तक न पहुँच पाने से लोगो को है राहत की
दरकार।- हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला के तहत प्रसिद्ध धार्मिक
पर्यटन स्थल सराहन आसपास के इलाकों में भी भारी बरसात ने तबाही मचाई है।
बागवानों की सेब की तैयार फसल के साथ सैकड़ों बीघा बगीचे बह गए है।
नुकसानी का क्रम अब भी लगातार जारी है। दर्जनों लोगों के घरों में भी
मोटी मोटी दरारें आई है ,कई घर ढह गए। प्रभावित क्षेत्रों के लोगो का
आरोप है नुक़्सानियो के आकलन एवं फौरी राहत आबंटन के लिए संबंधित सरकारी
तंत्र की ओर से कोई प्रयास नहीं हुए है। ऐसे में लोग हताशा और निराश
है। लोगों का कहना है कि प्रशासन को प्रभावितो के दुःख दर्द को समझते हुए
उन्हें फौरी राहत एवं बचाव संबंधी उपाय में मदद करनी चाहिए थी। लेकिन
ऐसा नहीं हुआ, जबकि सरकार ने अतिरिक्त राहत पैकेज की घोषणा कर लोगों के
जख्मो को भरने का प्रयास किया है।शाहधार पंचायत के पूर्व उपप्रधान रूप सिंह ने बताया कि वैसे तो
पूरे हिमाचल में नुकसान हुआ है, लेकिन उनके क्षेत्र में काफी अधिक नुकसान
हुआ है। उनके पास 3 बीघा बगीचा था तैयार फसल के साथ सारा बह गया। इस बार
अच्छी फसल लगी थी। प्रशासन की ओर से कोई भी यहां नहीं पहुंचा ,उनकी सुध
नहीं ली ,नुकसानी का आकलन भी नहीं हुआ।बागवान जय सिंह ने बताया उन की जमीं तीन बार बह गई है। लेकिन
सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली है। उनके अढ़ाई सौ सेब के पौधे व मकान
को नुकसान पहुंचा है। अब वे कंगाल हो चुके हैं। प्रशासन शासन कोई पूछ
नहीं रहा है। मौके पर उन के दुःख दर्द एवं राहत के लिए कोई आ नहीं रहा
है।


बागवान गोपाल सिंह ने बताया कि उनके बागीचे में अढ़ाई सौ पेटी सेब
थी लेकिन वह बरसात में सारा बह गया और वाटर टैंक व साथ में गौ शाला भी
बह गई। प्रशासन की ओर से कोई सुध नहीं ली जा रही है।
पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी प्रेम सिंह दरेक ने
बताया प्रशासन की जिम्मेदारी होती है कि आपदा के समय तीन मुख्य बातों पर
ध्यान दे , जो नुकसान हुआ उसका आकलन करना और फौरी राहत देना , दूसरा
आगे नुकसान ना हो इसकी रोकथाम की कोशिश करना। इसके अलावा प्रशासन का परम
कर्तव्य कि जिन की नुसानियाँ हुई है उन से सतत संपर्क करके उनका हौसला
अफजाई करें। उन्होंने बताया कि रामपुर क्षेत्र के लोग सदमे में है। खून
के आंसू रो रहे हैं। लोग रात को सो नहीं पा रहे हैं, जीवन यापन का जो
प्रमुख जरिया था वह समाप्त हो गया है।