रामपुर बुशहर। न्यूज़ व्यूज पोस्ट— सीटू क्षेत्रीय समन्वय समिति रामपुर का अधिवेशन , केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व राष्ट्रीय फेडरेशनों के मिलकर 23 – 24 फरवरी 2022 को होने वाले देशव्यापी हड़ताल की रणनीति को ले कर किसान मजदूर भवन चाटी में हुआ।
इस बैठक को सम्बोधित करते हुए सीटू शिमला जिलाध्यक्ष कुलदीप सिंह, बिहारी सेवगी, रणजीत ठाकुर ने कहा कि देश की सरकार ने तमाम लोगों के जीवन और आजीविका और देश की अर्थव्यवस्था को आपदा की कगार तक संकट में डाल दिया है अब संघर्ष न केवल लोंगों के अधिकारों व आजीविका व जीवन बचाने के लिए है बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और सम्पूर्ण लोकतांत्रिक व्यवस्था और पूरे समाज को उस आपदा और विनाश से बचाने के लिए है । देश के अंदर हालात बदतर होते जा रहे हैं मौजूदा समय में रोजगार और आजीविका के अवसरों में अत्यधिक गिरावट के कारण बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है जिसने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में न केवल मेहनतकश लोगों को बल्कि पूरे युवा, छात्र वर्ग के लिए निराशा और हताशा की स्थिति पैदा कर दी है। अधिकांश लोगों की आय मानव अस्तित्व हेतु आवश्यक न्यूनतम स्तर से नीचे पंहुच गई है । अप्रैल 2021में कोविड महामारी की दूसरी लहर के दो -तीन महीनों के दौरान 23 करोड श्रमिकों की आय प्रचलित वैधानिक न्यूनतम वेतन स्तर जो पहले से ही मानव अस्तित्व के मानक से नीचे है से बहुत नीचे पहुंच गया गई नतीजतन मेहनतकश लोगों के बीच भुखमरी खतरनाक रूप से बढ़ गई है जिससे भारत 107 देशों में ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 101 स्थान पर आ गया है और हमारा देश पड़ोसी देशों से बहुत पीछे हो गया है। देश की सरकार के द्वारा सविधान, जनतंत्र और धर्मनिरपेक्षता पर हमला किया जा रहा है पिछले सौ साल के अंतराल में बने 44 श्रम कानूनों को खत्म करके मजदूर विरोधी 4 श्रम संहिताएं अथवा लेबर कोड बनाना , 3 किसान विरोधी काले कानूनों को पारित करना और किसानों के विरोध के चलते वापिस लेना , बिजली संशोधन कानून 2021 इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। कोरोना काल का फायदा उठाते हुए मोदी सरकार मजदूरों के 44 कानूनों को खत्म करने, सार्वजनिक क्षेत्र को बेचने के खिलाफ कार्य कर रही है। सरकार के इन निर्णयों से बहुत अधिक संख्या में मजदूर व किसान सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। सरकार फैक्टरी मजदूरों के लिए बारह घण्टे के काम करने के आदेश जारी करके उन्हें बंधुआ मजदूर बनाने की कोशिश कर रही है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 26 अक्तूबर 2016 को समान कार्य के लिए समान वेतन के आदेश को आउटसोर्स, ठेका, दिहाड़ीदार मजदूरों के लिए लागू नहीं किया जा रहा है। केंद्र व राज्य के मजदूरों को एक समान वेतन नहीं दिया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश के मजदूरों के वेतन को महंगाई व उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के साथ नहीं जोड़ा जा रहा है।
मजदूर नेताओं ने सरकार को चेतावनी दी है कि मजदूरों की मांगों जिसमें सभी का इलाज मुफ्त में किया जाए, महंगाई पर तुरंत रोक लगाई जाए, सबको मुफ्त में वेक्सीन लगाई जाए, सबको महामारी चलने तक 10 किलो प्रति व्यक्ति मुफ्त राशन दिया जाए, प्रत्येक परिवार को 7500 रु प्रतिमाह आर्थिक मदद दी जाए, मनरेगा वर्कर को 700 रुपये दिहाड़ी व 200 दिन का रोजगार दिया जाए, 3 किसान विरोधी कानून को, 4मजदूर विरोधी श्रम संहिताओं व बिजली संशोधन विधेयक 2021 को निरस्त किया जाए की मांग को लेकर केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व राष्ट्रीय फेडरेशनों के मिलकर 23 – 24 फरवरी 2022 की देशव्यापी हड़ताल में सीटू से सम्बंधित सभी यूनियन हड़ताल करेगी ।अधिवेशन 27 सदस्यों की नई क्षेत्रीय समन्वय समिति का चुनाव भी किया गया जिसमे रणजीत ठाकुर को सर्वसहमति से क्षेत्रीय कमेटी का संयोजक चुना गया, नील दत्त, रिंकू राम, नरेंद्र देष्टा, राजेश, हरदयाल, चुनी लाल, जितेंद्र, कैलाश, रविंदर, पुष्पेंद्र, चांद, ललिता,जसबीर, प्रेम, हेम राज, भूप सिंह, देव राज, अमित, सन्नी, सत्या शर्मा, कुशल्या , आशा आदि को सदस्य चुना गया।