रामपुर बुशहर, 15मार्च । न्यूज़ व्यूज पोस्ट–रामपुर नगरपरिषद रामपुर ठेका मजदूर यूनियन सम्बंधित सीटू ने न्यूनतम वेतन प्रतिदिन 300 रुपये लागू करने व श्रम कानूनों को लागू करने की मांग को लेकर श्रम विभाग रामपुर के समक्ष प्रदर्शन किया।
इस प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए सीटू शिमला जिला अध्यक्ष कुलदीप सिंह,रणजीत ठाकुर, यूनियन अध्यक्ष देवेंद्र, दिनेश मेहता व मंजू ने कहा कि रामपुर नगरपरिषद के प्रबंधन व ठेकेदार की मिली भगत से नगरपरिषद में कार्य कर रहे मजदूरों का खुला शोषण किया जा रहा है। मजदूरों को हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा निर्धारित 1 अप्रैल 2021 से न्यूनतम वेतन 300 रुपये अभी तक लागू नहीं किया गया व किसी भी श्रम कानूनों को लागू न करना व श्रम कानूनों की खुली उलंघना इसका उदाहरण है। उन्होंने कहा नगरपरिषद के अंदर कार्य कर रहे सभी ठेका मजदूरों को पिछले लंबे समय से समय पर वेतन नहीं मिल रहा है और 1 मजदूर को तो पिछले 5 महीने का वेतन नही मिला जिसके विषय में बार बार लिखित व मौखिक रुप से नगरपरिषद प्रबंधन ,ठेकेदार व श्रम विभाग को इस विषय में अवगत करवाया। जिसके कारण इन ठेका मजदूरों को इस महँगाई के दौर में कई प्रकार की आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
रामपुर नगरपरिषद के अंदर काम कर रहे ठेका मजदूरों पर किसी भी श्रम कानूनों को लागू नहीं किया जा रहा है और न ही मजदूरों की सेफ्टी का कोई ख्याल रखा जा रहा है मजदूरों को सेफ्टी के नाम पर ग्लव्स, मास्क कुछ नहीं दिया जा रहा है और न ही श्रम कानून के अनुसार हर माह की 7 तारिख से से पहले वेतन मिलना चाहिए जो नहीं मिल रहा है अभी भी 1 मजदूर को जानबूझकर पिछले 5 महीने का वेतन व बाकी मजदूरों को जनवरी व फरवरी माह का वेतन महीने की 15 तारिख होने के बाद वेतन नही दिया जा रहा है और वेतन की मांग करने पर नोकरी से निकालने की धमकी ठेकेदार व नगरपरिषद के प्रबंधन के द्वारा दिया जा रहा है। नगर परिषद के अंदर काम कर रहे मजदूरों को न तो श्रम अधिकारी द्वारा सत्यापित कोई आई कार्ड, वेतन स्लिप, रविवार की छुटटी के अलावा अन्य कोई छुटटी तक नहीं दी जा रही है,epf का कोईरिकॉर्ड तक नहीं रखा गया है और esi को लागू नहीं किया गया है साथ ही हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा 1 अप्रेल 2021 से निर्धारित किये गए न्यूनतम वेतन जो प्रतिदिन 300 रुपये निर्धारित किया गया है को अभी तक लागू नहीं किया गया है और अभी तक का वेतन मजदूरों को न्यूनतम वेतन 300रुपये प्रतिदिन की अपेक्षा 275 रुपये पूरा 25 रुपये न्यूनतम वेतन से कम दिया गया है जो अप्रैल 2021 से अभी तक हर मजदूर का 750 रुपये प्रतिमहीना बनता है मजदूरों की खुली लूट की जा रही है जिसे यूनियन बर्दाश्त नहीं करेगी।यहाँ तक कि मजदूरों का ठेकेदार व नगरपरिषद प्रबंधन के द्वारा 2018 से 2022 तक के epf का कोई रिकॉर्ड तक मजदूरों को नहीं दिया गया है और कई मजदूरों का तो epf तो मजदूरों से काटा गया है पर उसे जमा नहीं किया गया है नगरपरिषद के अंदर सफाई मजदूरों की खुली लूट नगरपरिषद प्रबंधन व ठेकेदारों की मिलीभगत से की जा रही है।
आज महँगाई लगातार बढ़ रही है खाने की मूलभूत बस्तुओं के दाम तेल, दाल, आटा, चावल, सब्जियों के दाम, प्याज व टमाटर , कमरे का किराया, बिजली , बस किराया व रसोई गैस की कीमतों में जिस हिसाब से बढ़ोतरी हो रही है ऐसी स्थिति में 2 महीने से वेतन न मिलना मजदूरों को कई प्रकार की आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है वैसे भी इस महँगाई के दौर में मजदूरों का न्यूनतम वेतन बहुत कम है गरीब मजदूरों को 2 महीने से वेतन न मिले ऐसे में परिवार का पालन पोषण करना कितना मुश्किल होता है ऐसे स्थिति में मजदूरों को अपने अधिकारों के लिए आज सड़क पर आने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह जाता है।इस धरने के माध्यम से वक्ताओं ने कहा कि यदि 1 मजदूरों को 5 महीने का वेतन व बाकी मजदूरों को 2 माह का वेतन नहीं मिला तो यूनियन आंदोलन को तेज करेगी जिसमें कूड़े उठाने का काम भी कल से बंद किया जा सकता है और कूड़ा इकठा करके श्रम विभाग,mc ऑफिस व sdm आफिस के बाहर भी ढेर लगाया जाएगा। जिसकी जिम्मेदारी सरकार, नगरपरिषद प्रशासन व ठेकेदार की होगी।
इस धरने में राजू राणा, मनिता, तारामणि, ललिता,योगेश ,रजनी, मंजीत, दीपक, विकास, चरन दासी, किरण, सुशीला,सोमारी, सीता, उस्तानी,रजनी , बीरमानिय, सोनिया, चिंता, नीलम ने भाग लिया।