शिमला, 09 मार्च। न्यूज व्यूज पोस्ट –
हिमाचल प्रदेश में पहली बार नशे के खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई करते हुए शिमला पुलिस ने 24 सरकारी कर्मचारियों को चिट्टा तस्करी और नशे के कारोबार में संलिप्त पाए जाने पर गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी मिशन क्लीन-भरोसा अभियान के तहत की गई, जिसमें पुलिस ने सरकारी महकमों में फैले नशे के जाल को उजागर किया है।
पकड़े गए आरोपियों में हिमाचल और पंजाब पुलिस के जवान, डॉक्टर, बैंक प्रबंधक, पटवारी, फॉरेस्ट गार्ड, शिक्षक और अन्य सरकारी कर्मचारी शामिल हैं। यह पहली बार है जब हिमाचल प्रदेश में इतने बड़े स्तर पर सरकारी तंत्र से जुड़े लोग नशे के कारोबार में पकड़े गए हैं।
सरकारी तंत्र में नशे की घुसपैठ, सबसे बड़ा खुलासा
शिमला पुलिस ने इन कर्मचारियों की सूची मुख्य सचिव को भेज दी है और इनके खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की मांग की है। अधिकारियों के मुताबिक, इस अभियान का मकसद सिर्फ गिरफ्तारी नहीं, बल्कि सरकारी व्यवस्था को नशा मुक्त बनाना भी है।
गिरफ्तार कर्मचारियों में शामिल कुछ प्रमुख नाम:
हिमाचल पुलिस: जुगल किशोर, लक्ष्य
पंजाब पुलिस: अजय कुमार, देविंद्र कुमार
डॉक्टर: सिद्धार्थ
तहसील कल्याण अधिकारी मुकुल चौहान,
सिविल सप्लाई विभाग के यशवंत ठाकुर,
शिक्षा विभाग के वरिष्ठ सहायक त्रिलोक नेगी,
बैंक प्रबंधक: विनय गर्ग (यूको बैंक)
कोऑपरेटिव सोसाइटी के इंस्पेक्टर आदित्य शर्मा
जल शक्ति विभाग के बेलदार पुरूषोतम
पटवारी: विजय कुमार
जल शक्ति विभाग के पंप ऑपरेटर बृज मोहन,
अध्यापक विजेंदर सिंह रावत,
फॉरेस्ट गार्ड: प्रशांत राठौर, अनीश
बिजली विभाग के अजय कुमार
लैब टेक्नीशियन अमन कुमार।
एच आर टी सी चालक अनूप कुमार।
मकैनिक पवन कुमार
लोक निर्माण विभाग के राकेश कुमार।
नशे के सौदागरों पर पुलिस की दो टूक – “कोई रियायत नहीं”
शिमला पुलिस के एसपी संजीव गांधी ने स्पष्ट किया कि नशे के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई जाएगी। उन्होंने कहा,
> “सरकारी कर्मचारी भी कानून से ऊपर नहीं हैं। जो भी नशे के कारोबार में लिप्त होगा, उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी।”
अब आगे क्या?
सभी 24 कर्मचारियों पर NDPS एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
पुलिस इन कर्मचारियों से पूछताछ कर पूरे नेटवर्क को उजागर करने की कोशिश में है।
मुख्य सचिव को भेजी गई रिपोर्ट में सरकारी सेवा से बर्खास्तगी की सिफारिश की गई है।
सरकारी व्यवस्था में नशे के खिलाफ नई मिसाल
यह पहली बार है जब शिमला पुलिस ने सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ इतना बड़ा एक्शन लिया है। इससे यह साफ संकेत मिलते हैं कि अब नशे के खिलाफ अभियान में कोई रियायत नहीं बरती जाएगी।
क्या यह कार्रवाई सरकारी तंत्र को नशे से मुक्त करने में कारगर साबित होगी? जनता इस फैसले को ऐतिहासिक मान रही है, लेकिन अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या इस सख्ती का असर सरकारी महकमों पर पड़ता है या नहीं।