रामपुर बुशहर। विशेषर नेगी।
आयुर्वेदिक अस्पताल रामपुर में आज मरीजों के लिए विशेष कार्यशाला का किया आयोजन। जिस में विभिन्न पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों से मरीजों का किया गया इलाज। इस दौरान अलाबू चिकित्सा, जलौका द्वारा रक्तमोक्षण, धातु स्वेद, मृतिका स्वेद, बिंदु अग्निकर्म, विलेखा अग्निकर्म तथा प्रतिसारण अग्निकर्म जैसे दर्जनों सुक्ष्म व प्रभावी आयुर्वेदिक क्रियाएं रही सम्मिलित। मरीजों ने बताया आयुर्वेदिक इलाज की ओर ग्रामीणों का बढ़ रहा है रुझान।
शिमला जिला के रामपुर स्थित राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल रामपुर में आज विशेष शिविर के मध्य से मरीजों का इलाज कराया गया । जिस में अनुशस्त्र आयुर्वेदिक कर्मों के माध्यम से आज मरीजों का इलाज किया गया । यह विशेष कार्यशाला विभिन्न पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों पर आधारित रही, जिसमें मुख्यतः अलाबू चिकित्सा, जलौका द्वारा रक्तमोक्षण, धातु स्वेद, मृतिका स्वेद, बिंदु अग्निकर्म, विलेखा अग्निकर्म तथा प्रतिसारण अग्निकर्म जैसे दर्जनों सुक्ष्म व प्रभावी आयुर्वेदिक क्रियाएं सम्मिलित थी। ग्रामीण लोगो का आयुर्वेद के प्रति आकर्षण को देखते हुए आयुर्वेदिक अस्पताल रामपुर में इस तरह की सुविधाएं प्रारंभ की गई है, जिसका लाभ सैंकड़ों मरीज अब तक प्राप्त कर चुके हैं। डॉ. कपिल शर्मा ने बताया आमजन को आयुर्वेद की इन प्राचीन व उपयोगी उपचार विधियों से जोड़ने का प्रयास हो रहा है। इस प्रकार, आयुर्वेदिक अस्पताल रामपुर प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से आधुनिक जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों में राहत प्रदान करने का प्रयास कर रहा है। ग्रामीण दूर दराज के मरीज भी आयुर्वेद के प्रति रुचि दिखा रहे है। रामपुर आयुर्वेदिक चिकित्सालय में रविवार को प्रमुख उपशल्य (Parasurgical) विधियाँ अपनाई गई उन में
अग्निकर्म (Agnikarma – ताप चिकित्सा)
उपयोगी रोग:
संधिवात (घुटनों, कमर, कंधे आदि का दर्द)
अन्निल वात (साइयटिका)
कटिशूल (लोअर बैक पेन)
अर्बुद (गांठ/ट्यूमर)
हील स्पर
कालवेदीका (टेनिस एल्बो)
माईग्रेन
गर्दन और कंधे का जकड़ाव
रक्तमोक्षण (Raktamokshan – Blood letting)
जलौकावचारण (जोंक द्वारा)
सिरा वेधन (नस की सफाई)
उपयोगी रोग:
त्वचा रोग (सोरायसिस, एक्ज़िमा, एलर्जी)
वातरक्त (गठिया)
उच्च रक्तचाप (Hypertension)
मुँहासे व चेहरे के दाग
आँखों की सूजन
नसों में सूजन (वरिकोज वेन्स)
आलाबू चिकित्सा (Alabu Chikitsa – कपिंग थैरेपी)
उपयोगी रोग:
मांसपेशियों का दर्द
स्पॉन्डिलाइटिस
श्वसन रोग (दमा, ब्रोंकाइटिस)
खेल चोटें (स्पोर्ट्स इंजरी)
नसों में जकड़न
विद्ध चिकित्सा (Viddha Karma – ड्राय नीडलिंग/सुई द्वारा छेदन)
उपयोगी रोग:
अर्धांगवात (लकवा)
साइटिका
मांसपेशियों में गांठ
त्रिजेमिनल न्यूराल्जिया (चेहरे में झनझनाहट व दर्द)
स्वेदन (Swedan – पसीना लाना / स्टीम थेरेपी)
प्रकार:
पत्र पिंड स्वेद
बालू स्वेद
मृत्तिका स्वेद (मिट्टी द्वारा)
उपयोगी रोग:
जोड़ों का दर्द
सर्दी-जुकाम
मोटापा जनित दर्द
पक्षाघात
गठिया
विलेखन अग्निकर्म (Vilekhan Agnikarma – चीर कर अग्नि से चिकित्सा)
उपयोगी रोग:
मस्से
गांठें
पुरानी फुंसियाँ
त्वचा के छोटे ट्यूमर
पुराने नासूर
अन्य उपयोगी रोग:
भगंदर (Fistula-in-ano)
बवासीर (Piles)
नाड़ीव्रण (Sinus)
अपक्व व्रण (फोड़े)
ना भरने वाला ज़ख्म
गर्भाशय की गांठें (Fibroids) आदि।
रामपुर उप मंडल के अति दुर्गम क्षेत्र किनफी गांव के भगत राम ने बताया कि उनके घुटनो की प्रॉब्लम थी ,तो आज शिविर में जांच के लिए आए और उन्होंने जो आयुर्वेद पद्धति से इलाज किया तो राहत महसूस होने लगी है।
रामपुर के क्रांगला गांव की सीमा ने बताया कि पिछले एक माह से वे अपने मरीज के साथ यहां है। इससे पूर्व रामपुर ,शिमला एवं विभिन्न निजी चिकित्सालयो में अपने मरीज का एलोपैथी इलाज कर रहे थे। उन्हें कहीं भी आराम नही हुआ। आखिर में रामपुर आयुर्वेदिक अस्पताल जाकर उन्होंने पारंपरिक आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से इलाज कराया । अब मरीज को काफी रात महसूस हो रहा है।
डंसा पंचायत के पूर्व प्रधान खेलचंद नेगी ने बताया कि उन्होंने पूर्व में एलोपैथी विधि से इलाज कराया। इस दौरान उन्हें कई अन्य साइड इफेक्ट भी हुए । अंत में वे आयुर्वेद पद्धति से इलाज करने आयुर्वेदिक हॉस्पिटल आए जिसका उन्हें काफी लाभ हुआ है। उन्होंने लोगों से भी आयुर्वेद को अपनाने की अपील की।
रामपुर आयुर्वेदिक चिकित्सालय के चिकित्सक डॉक्टर कपिल शर्मा ने बताया कि जिस तरह से आज की शिविर में लोग पहुंचे हैं, उस से लगता है कि लोगों में आयुर्वेद के प्रति रुझान बढ़ रहा है । वैसे तो रामपुर में आयुर्वेद की विभिन्न पद्धतियो से इलाज हो रहा है, लेकिन अब उन्होंने जो पारंपरिक आयुर्वेदिक विधियां है उनसे इलाज करना शुरू कर दिया है। ताकि हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा मिले और लोगों को भी इसका सीधे तौर से लाभ हो।