रामपुर बुशहर। विशेषर नेगी।
नव वर्ष को ज्यादातर लोग 1 जनवरी से जोड़ते हैं, लेकिन भारतीय वैदिक परंपरा के अनुसार नव वर्ष चैत्र मास की प्रतिपदा से शुरू होता है। इसी परंपरा को जीवंत रखने के लिए रामपुर बुशहर में नव वर्ष अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया। इस मौके पर विभिन्न हिंदू संगठनों ने मिलकर कार्यक्रम आयोजित किए और लोगों को भारतीय कैलेंडर के महत्व की जानकारी दी।: शिमला जिले के रामपुर बुशहर में नव वर्ष अभिनंदन समारोह समिति के बैनर तले वैदिक नव वर्ष का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, व्याख्यान और अन्य गतिविधियों का आयोजन हुआ। आयोजकों का कहना था कि इस आयोजन का उद्देश्य भारतीय समाज को अंग्रेजी कैलेंडर से अलग, अपने पारंपरिक पंचांग के अनुसार नव वर्ष मनाने के लिए प्रेरित करना है।
मनोज अग्रवाल, संयोजक, नव वर्ष अभिनंदन समारोह समिति:
“हमारा मकसद है कि लोग भारतीय वैदिक परंपरा के अनुसार असली नव वर्ष से अवगत हों और हमारी संस्कृति को अपनाएं। अंग्रेजों द्वारा थोपी गई 31 दिसंबर की समाप्ति को हम असली नव वर्ष नहीं मानते, बल्कि नव वर्ष का आरंभ चैत्र प्रतिपदा से होता है।”
समारोह के दौरान वक्ताओं ने कहा कि भारतीय समाज धीरे-धीरे अपनी परंपराओं से दूर होता जा रहा है। ऐसे में इस तरह के आयोजनों से लोगों को अपनी संस्कृति की ओर लौटने का संदेश दिया जा रहा है।