बिलासपुर, न्यूज व्यूज पोस्ट।
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर स्थित क्षेत्रीय अस्पताल में एक महिला मरीज के साथ हुए व्यवहार ने अस्पताल की व्यवस्थाओं को कटघरे में खड़ा कर दिया है। मंगलवार को अस्पताल परिसर में 57 वर्षीय कमला देवी नाम की महिला उस वक्त बेहोश हो गईं, जब वह अपने तीमारदार के साथ डॉक्टर से परामर्श लेने पहुंची थीं। हैरान करने वाली बात यह रही कि डॉक्टर ने तुरंत इलाज करने के बजाय मरीज को दोबारा इमरजेंसी वार्ड में ले जाने की सलाह दी।
मरीज के तीमारदार दिनेश कुमार ने आरोप लगाया कि वे पहले ही इमरजेंसी से रेफर होकर संबंधित विशेषज्ञ के पास पहुंचे थे, लेकिन सुरक्षा कर्मी ने उन्हें रोक दिया और दोबारा इमरजेंसी में जाने को कहा। इसी को लेकर तीमारदार और सुरक्षा कर्मी के बीच बहस हुई, और इसी दौरान मरीज बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ी।
स्थिति गंभीर होने के बावजूद मौके पर मौजूद डॉक्टर ने तत्परता नहीं दिखाई। मजबूरन तीमारदार को मरीज को निजी वाहन से एम्स रेफर करना पड़ा, जहां अब उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
प्रशासन पर उठे सवाल
यह घटना केवल एक व्यक्तिगत पीड़ा नहीं है, बल्कि अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य सेवाओं की लचर व्यवस्था का उदाहरण बन गई है। इससे पहले भी क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में इलाज में देरी, अव्यवस्था और मरीजों के साथ असंवेदनशील व्यवहार की शिकायतें सामने आती रही हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अस्पताल में आए दिन डॉक्टरों की लापरवाही और सुरक्षा कर्मियों का अभद्र व्यवहार देखने को मिलता है। मरीजों को समय पर इलाज मिलना तो दूर, उन्हें अपमान और उपेक्षा भी झेलनी पड़ती है।
प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में
इस पूरे मामले में अभी तक अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। न ही यह स्पष्ट हुआ है कि संबंधित डॉक्टर और सुरक्षा कर्मी पर कोई कार्रवाई की गई है या नहीं।
स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन से अपेक्षा की जा रही है कि वह इस घटना की निष्पक्ष जांच करवाकर जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा, ताकि भविष्य में किसी भी मरीज को इस तरह की पीड़ा का सामना न करना पड़े।