दिल्ली। न्यूज व्यूज पोस्ट/
राष्ट्र्पति द्रौपदी मुर्मू द्वारा 17 वे प्रवासी भारतीय दिवस पर इंदौर में ब्यापार और समाज सेबा में बिशिष्ट योगदान के लिए इस बर्ष प्रतिष्ठित प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार से अलंकृत किये गए सरदार दर्शन सिंह धालीवाल का कहना है कि समाज सेवा दान पुण्य और परोपकार के संस्कार उन्हें पूर्वजों से विरासत में मिले हैं।
सरदार दर्शन सिंह धालीवाल का कहना है कि उनके पिता सरदार सूबेदार करतार सिंह गांव के सरपंच थे और इस नाते उन्होंने पैतृक गांव में स्थानीय लोगों के लिए पीने के स्वच्छ पानी की सुविधा मुहैया करवाने के लिए अपने खर्च से हैण्ड पंप स्थापित किया था जबकि उस समय परिवार की आर्थिक हालत सामान्य मात्र ही थी। वह याद करके कहते हैं कि एक बार गांव में स्थित ‘‘बाबा सिद्ध’’ मंदिर के प्रबंधकों ने उनके घर आम की टोकरी भेजी, जब पिता ने उन्हें मुफ्त के आम चूसते हुए देखा तो वह काफी विचलित हुए और उन्होंने सरपंच के पद से त्याग पत्र दे दिया। गांव वालों ने जब उन्हें त्यागपत्र वापिस लेने के लिए दबाव डाला तो उन्होंने कहा कि सरपंच रहने की बजाये उन्हें अपने बच्चों का भविष्य प्यारा है और इस तरह मुफ्त की रेबड़ियों से मेरे बच्चे बर्बाद हो जाएंगे।