शिमला , न्यूज व्यूज पोस्ट: हिमाचल सरकार ने बीपीएल सूची में घुसपैठ रोकने के लिए बड़ी पहल की है। अब बीपीएल चयन प्रक्रिया की वीडियोग्राफी होगी, और जो गलत जानकारी देकर शपथ पत्र देगा, उस पर सीधे केस दर्ज किया जाएगा। सरकार का फोकस साफ है—असल जरूरतमंद को ही लाभ मिले।
मुख्य खबर:
बीपीएल सूची में बार-बार हो रहे फर्जीवाड़े को रोकने के लिए राज्य सरकार ने कई अहम बदलाव किए हैं। अब कोई भी आवेदक केवल शपथ पत्र से दावेदारी नहीं जता सकेगा, क्योंकि शपथ पत्र गलत होने पर उस पर मुकद्दमा चल सकता है। चयन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए पंचायतों को आदेश दिए गए हैं कि वे पूरी ग्रामसभा की कार्रवाई की वीडियोग्राफी करवाएं और इसे सुरक्षित रखें।
ग्रामसभा से पहले होगी तैयारी:
हर पंचायत में बीडीओ को यह सुनिश्चित करना होगा कि ग्रामसभा से पहले वीडियोग्राफी की व्यवस्था हो। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए एसडीएम के निर्देश पर पुलिस की मौजूदगी भी तय रहेगी।
3 साल की रोक, अपवाद भी:
अब जो लोग पहले से बीपीएल सूची में हैं और अलग होकर नया परिवार बनाते हैं, वे अगले 3 वर्षों तक सूची में नहीं आ सकेंगे। हालांकि विधवा, तलाकशुदा, परित्यक्त और एकल नारी इस नियम से बाहर रखी गई हैं।
नए परिवारों की जांच का नया सिस्टम:
अब बीपीएल सूची के लिए सीधे ग्रामसभा में चयन नहीं होगा। इसके लिए एसडीएम की ओर से बनाई गई तीन सदस्यीय कमेटी—जिसमें पंचायत सचिव, पटवारी और आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता होंगे—हर आवेदन की जांच करेगी। ये कमेटी 15 जून तक सूची को सार्वजनिक करेंगी, जिसके बाद जुलाई में ग्रामसभा इसे अंतिम रूप देगी।
फर्जीवाड़ा करने वालों को झटका:
सरकार मानती है कि प्रभावशाली लोग अब तक बीपीएल सूची में घुसने के लिए नियमों का गलत फायदा उठाते रहे हैं। ऐसे लोग अब नियमों के शिकंजे में आएंगे। नई व्यवस्था से पारदर्शिता बढ़ेगी और योजनाओं का लाभ सही लोगों को मिलेगा।
नोट: आवेदन प्रक्रिया 30 अप्रैल तक चल रही है। इच्छुक पात्र परिवार जल्द आवेदन करें।