सम्पादकीय
✍🏼जगदीश सिंह सम्पादक✍🏼
गम इसका नहीं है की आप मिल न सकोगे?
दर्द इस बात का है कि हम आप को भुला न सकेंगे_—??
मादरे वतन की रक्षा में सब कुछ गंवा देने के संकल्प के साथ जीवन के पथरीले पथ पर निरन्तर आगे बढ़ते हुऐ देश की आन-बान के लिए कुर्बान होने वालों की फेहरिस्त में शामिल हो गया, अदम्य साहस का धनी गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाला देश के लिए कुर्बान होने वाला राजू? राष्ट्रभक्ति का जज़्बात लिए मौत का सौगात सम्हाले सीना में गोली खाकर हमेशा हमेशा के लिए इस जहां को अलविदा कह गया एक गरीब की झोपड़ी में पैदा होनहार नौजवान!मऊ जनपद की बिप्लवी धरती पर इस सदी की पहली शहादत ने लोगों के जेहन में श्रद्धा और स्नेह का तूफान पैदा कर दिया?देश के लिए कुर्बान होने वाले पच्चीस वर्षीय होनहार जवान के शौर्य को सलाम करने के लिए बीस जुलाई की सुबह से शाम तक अपार जन समूह उमड़ पड़ा! चिरनिंद्रा में सोए नौजवान के स्वाभिमान सम्मान के लिए हजारों हज़ारों की भीड़ ने मां भारती के अमर सपूत को अश्रुपूरित श्रद्धाजलि समर्पित किया। मऊ जनपद की महकती मिट्टी में पैदा हुआ राजू यादव महज पच्चीस साल की उम्र मे ही बीरगति को प्राप्त कर लिया। तिरंगा में लिपटा राजू मधुबन की बागी धरती का लाल नौजवानों में अदम्य साहस का परिचायक आखरी सफर में भी इतिहास रच दिया।हजारों हज़ारों की भीड़ घर से लेकर श्मशान घाट तक के सफर में संकल्पित जीवन यात्रा की आखरी घड़ी का ऐतिहासिक गवाह बन गयी।? आजादी के महासंग्राम में नेबलेट कलेक्टर को थाने के भीतर बन्द कर हजारों की भीड़ ने मधुबन थाने को आग के हवाले कर फहरा दिया 15अगस्त 1942को भारतीय ध्वज नोच डाला था ब्रितानिया हुकूमत का शहंशाही परचम सीने में सैकड़ों नौजवान गोली खाकर शहीद हो गये?हजारो हजारों की भीड़ को देखकर दहल उठा था अंग्रेजी शासन? वैसी ही भीड़ बीस जुलाई की सुबह देश के लिए कुर्बान होने वाले इसी मधुबन की बिप्लवी धरती में पैदा हुआ जवान राजू यादव की शहादत के बाद शव यात्रा में देखने को मिला! हर आंख नम थी सबके दिल में दर्द भरा गम था।कल कल करती उत्तर वाहिनी सरयू का तट जहां दो हरियो राम परशु राम का मिलन हुआ था उसी दोहरी घाट के पावन स्थल पर मुक्तिधाम में आखरी सफर के आखरी चरण का नजारा भी ऐतिहासिक था? हजारों हज़ारों की की भीड गगन भेदी नारा लगाती रही! श्रद्धांजलि देने के लिए मजिस्ट्रेट से लेकर नेता शामिल हुए सेना के जवान मातमी धुन के साथ अपने साथी का जब अन्तिम सलामी दिया माहौल गमगीन हो गया? महाकाल अविनाशी के सराणागत मुक्तिधाम में राजू का शव बीस जुलाई की शाम अग्नि देवता को समर्पित हो गया! चिता से उठने वाली आग की लपटे भी वन्दे मातरम सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्ता हमारा का आभास दिलाती रही ।गरीब की झोपड़ी से निकला बहादुर लाल कमाल कर हमेशा के लिए विदा हो गया।महान सपूत को राष्ट्रीय पत्रकार संघ भारत म ऊ क्रांति परिवार के तरफ से अश्रुपूरित श्रद्धाजलि समर्पित।