परवाणु (सोलन), न्यूज व्यूज पोस्ट।
हिमाचल प्रदेश के सबसे पुराने औद्योगिक क्षेत्र परवाणु में अवैध शराब कारोबार का बड़ा खुलासा हुआ है। सेक्टर-5 स्थित केएम डिस्टिलरी नामक फैक्टरी पर जब आबकारी विभाग की प्रवर्तन टीम ने दबिश दी, तो अंदर का नज़ारा हैरान कर देने वाला था। यह फैक्टरी बिना वैध लाइसेंस के महीनों से चालू थी और हरियाणा के लिए अवैध रूप से शराब का उत्पादन कर रही थी।
अप्रैल से लाइसेंस रिन्यू नहीं होने के बावजूद चल रही इस फैक्टरी में 9 हजार बल्क लीटर ईएनए (Extra Neutral Alcohol) कम पाया गया, जिसका इस्तेमाल शराब बनाने में होता है। इससे पहले ही शक की सुई घूम चुकी थी, लेकिन जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी, पर्दे के पीछे की सच्चाई और गहरी निकली।
छापेमारी में चौंकाने वाले खुलासे
अधिकारियों ने फैक्टरी से जो बरामद किया, वह इस पूरे खेल का असली चेहरा उजागर करता है:
- हरियाणा सरकार के 48,000 शराब होलोग्राम
- पानीपत की ‘संतरा’ ब्रांड के 7,000 नकली लेबल
- 40,000 ट्रैक एंड ट्रेस स्टिकर
इन सबका मिलना साफ इशारा करता है कि फैक्टरी हरियाणा की ब्रांडेड शराब तैयार कर रही थी — वो भी बिना सरकारी अनुमति के।
कार्रवाई के पीछे की योजना
राज्य कर एवं आबकारी विभाग (प्रवर्तन) के अतिरिक्त आयुक्त उज्ज्वल राणा के नेतृत्व में 10 सदस्यीय टीम ने यह कार्रवाई की। टीम को गुप्त सूचना मिली थी कि परवाणु और आसपास की शराब फैक्ट्रियों में पड़ोसी राज्यों के लिए अवैध उत्पादन किया जा रहा है। इससे पहले टीम ने कालाअंब में भी इसी तरह की एक फैक्टरी का भंडाफोड़ किया था।
अब क्या होगा?
फिलहाल फैक्टरी को पूरी तरह सील कर दिया गया है। मामले में विभाग कानूनी कार्रवाई की तैयारी में जुटा है। सवाल यह भी उठता है कि कैसे एक बंद लाइसेंस वाली फैक्टरी इतने लंबे समय तक बिना रोक-टोक के काम करती रही?
यह मामला हिमाचल में शराब कारोबार की निगरानी व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा करता है। लाइसेंस रद्द होने के बावजूद फैक्टरी का चालू रहना, भारी मात्रा में फर्जी लेबल्स और अवैध स्टॉक का मिलना — ये सब इस बात का संकेत हैं कि मामला सिर्फ एक फैक्टरी तक सीमित नहीं है। आने वाले दिनों में और भी खुलासे हो सकते हैं।