शिमला। न्यूज़ व्यूज पोस्ट—-
ओकार्ड इंडिया, दिल्ली तथा हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी शिमला द्वारा प्रतिवर्ष की भांति इस बार भी 25 दिसंबर 2021 से 5 जनवरी 2022 तक शिमला में हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी द्वारा ऐतिहासिक गेयटी थिएटर के टैबरन हॉल में पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है।
हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी के सचिव डॉ कर्म सिंह ने जानकारी दी कि पुस्तक प्रदर्शनी तथा साहित्य उत्सव के अवसर विभिन्न साहित्य सेवी संस्थाओं के सहयोग से रोटरी टाउन हॉल दि माल शिमला में विभिन्न साहित्यिक तथा सामयिक विषयों पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
साहित्यिक कार्यक्रमों की कडी में 3 दिसंबर 2022 को प्रातः काल 11:00 बजे ठाकुर जगदेव चंद स्मृति शोध संस्थान नेरी हमीरपुर द्वारा डॉक्टर चेतराम गर्ग के निर्देशन में हिमाचल प्रदेश का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान और नेपथ्य नायक विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के डा नितिन व्यास ने भारतीय सांस्कृतिक गौरव पर अपने वक्तव्य में कहा कि भारत के इतिहास को विकृत तरीके से प्रस्तुत किया गया है तथा हमें हीनभावना का शिकार बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं ।कार्यक्रम के दौरान हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में डॉ यशवंत सिंह परमार शोध पीठ के अध्यक्ष डॉक्टर ओम प्रकाश शर्मा ने शोध संस्थान नेरी हमीरपुर द्वारा प्रकाशित पुस्तक स्वराज संघर्ष में हिमाचल के नेपथ्य नायक पुस्तक की समीक्षा करते हुए बताया कि डॉक्टर शिव भारद्वाज द्वारा संपादित इस पुस्तक में वजीर राम सिंह पठानिया ,राम सिंह बैरागी ,राजा प्रताप चंद ,कुंवर प्रताप सिंह, स्वामी कृष्णानंद ,हिरदाराम ,रानी खैरीगढी ,बाबा कांशी राम, बाबा लक्ष्मण दास आर्य ,दुर्गाबाई आर्य ,दीनानाथ आंधी ,सौदागर मल ,इंद्रपाल ,पंडित ब्रह्मदेव, हीरालाल कौशल ,सत्यानंद स्टोक्स ,मियां रतन सिंह ,शोभाराम भागमल सोहटा , ब्रह्मानंद ,शिवानंद रामोल , वैद्य सूरत सिंह, चौधरी शेरजंग, पंडित भास्करानंद, हृदय राम पांथ राम सिंह , सदाराम चंदेल, गोपाल दत्त, डॉ यशवंत सिंह परमार ,कैप्टन राम सिंह ,मास्टर मित्र सेन , थापा राम सिंह आदि शूरवीरों के साहस, बलिदान तथा शौर्य गाथा का विवरण अंकित है जिन्होंने अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति ,आई एन ए ,स्वाधीनता संग्राम ,प्रजामंडल ,किसानी आंदोलन और समाज सेवा के माध्यम से देश की सेवा में अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया।
इस कार्यक्रम के दौरान शोध संस्थान नेरी द्वारा प्रकाशित पुस्तक हिमाचल की लोक गाथाओं में इतिहास के प्रसंग की विवेचना में कहा कि हिमाचल प्रदेश के लोक साहित्य में विशेषकर लोक गाथाओं में हमारे वीर सेनानियों के साहस और बलिदान की गाथाओं का उल्लेख है जो इतिहास के बहुमूल्य स्रोत हैं ।
कार्यक्रम के दौरान मातृ वंदना के प्रबंध संपादक श्री महीधर ने कहा कि विदेशी आक्रांताओं को महान बताने के लिए और भारतीय इतिहास को कमतर आंकते हुए हमारे इतिहास में मिलावट की गई है जिससे भारत के इतिहास को सही रूप में जानना कठिन है परंतु अब यह प्रयास किए जा रहे हैं कि जो हमारे लोक साहित्य, परंपराओं में इतिहास के संदर्भ हैं , उन जानकारियों को जुटाकर इतिहास लेखन को नई डदृष्टि से अंजाम दिया जा रहा है ताकि सही और वास्तविक इतिहास सामने आ सके और जो इतिहास पाठ्यक्रम की पुस्तकों में पढ़ाया जाए उससे राष्ट्र की भावना प्रचंड होनी चाहिए ।
इस अवसर पर शोध संस्थान नेरी, हमीरपुर के निदेशक एवं समन्वयक डॉ चेतराम गर्ग ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता में जिन समाजसेवी लोगों, किसानों, महिलाओं और आमजन का सहयोग रहा है उसे इतिहास में उचित स्थान नहीं दिया गया है जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है । अब संस्थान के द्वारा शोध कार्य के माध्यम से उन भूले बिसरे स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन और उनके योगदान को तलाशा जा रहा है तथा पुस्तकों के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है ताकि हिमाचल का जनमानस अपने वीरों तथा स्वतंत्रता सेनानियों पर गर्व महसूस कर सकें ।कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ प्रियंका वैद्य ने कहा की विश्व को स्वामी विवेकानंद के अध्यात्म, सामाजिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक चिंतन के आधार पर देखा जाना चाहिए जो दृष्टि उन्हें रामकृष्ण परमहंस से मिली और उनकी इस आध्यात्मिक तथा सामाजिक यात्रा में बहन निवेदिता ने भी भरपूर योगदान दिया , वह विचारधारा आज भी प्रासंगिक है ।
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में काव्य पाठ का आयोजन किया गया जिसमें हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों था अन्य कवियों ने अपनी अपनी कविताओं का पाठ करते हुए सामाजिक विसंगतियों , राष्ट्रवाद , नशा निवारण और युवाओं की कर्तव्य परायणता आदि विषयों पर श्रोताओं और दर्शकों का ध्यान आकृष्ट किया ।
कार्यक्रम का संचालन पवना शर्मा ने किया।
काव्य पाठ में हितेन्द्र शर्मा, कमलेश वर्मा, बबीता, प्राची, उषा , अंजलि, शिवा पंचकरण ,रोहित भागवत, वंदना राणा ,सुनीता धीमान ,डा विजेता चौहान आदि कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया।