रामपुर बुशहर, विशेषर नेगी।
हिमाचल प्रदेश की सतलुज घाटी में एसजेवीएन की प्रमुख जल विद्युत परियोजनाएं—नाथपा-झाकड़ी (1500 मेगावाट), रामपुर (412 मेगावाट) और लुहारी (210 मेगावाट) इन दिनों न सिर्फ बिजली उत्पादन, बल्कि मजदूर असंतोष के चलते भी सुर्खियों में हैं। इन परियोजनाओं में वर्षों से कार्यरत ठेका मजदूरों ने प्रबंधन की उदासीनता के खिलाफ 14 मई से सांकेतिक धरना शुरू किया हुआ है, जो अब उग्र आंदोलन की ओर बढ़ रहा है।
मजदूरों की तीन प्रमुख मांगे – ग्रेच्युटी, ग्रुप इंश्योरेंस और पदोन्नति
ठेका मजदूर यूनियन का आरोप है कि 15 से 20 वर्षों से सेवा दे रहे अनुभवी कर्मचारियों को आज तक पदोन्नति नहीं दी गई, जबकि प्रबंधन चहेतों को साल में दो बार तरक्की देता है। यूनियन सदस्य निशान का कहना है कि यह श्रमिकों के साथ अन्याय है और इससे उनमें भारी असंतोष है।
सेवानिवृत्ति पर कोई सुरक्षा नहीं
सीटू से संबद्ध यूनियन अध्यक्ष गुरदास के अनुसार, जब कोई मजदूर 60 वर्ष की उम्र पूरी करता है तो उसे सेवा के बदले में कोई ग्रेच्युटी या सुरक्षा राशि नहीं मिलती। यह न सिर्फ श्रम कानूनों की अनदेखी है, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी चिंताजनक है। साथ ही, मजदूरों को ग्रुप इंश्योरेंस जैसी बुनियादी सुविधा तक से वंचित रखा गया है।
प्रबंधन पर आरोप – संवादहीनता और अनदेखी
मजदूर यूनियन के सदस्य राजकुमार ने बताया कि धरने को दो महीने हो चुके हैं, लेकिन एसजेवीएन प्रबंधन ने अभी तक कोई वार्ता तक नहीं की। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर जल्द समाधान नहीं निकाला गया तो आंदोलन को व्यापक और निर्णायक रूप दिया जाएगा।
🔍 विश्लेषण
ऊर्जा उत्पादन में अहम योगदान देने वाली इन परियोजनाओं के मज़दूरों की आवाज़ अगर समय रहते नहीं सुनी गई, तो न सिर्फ परियोजनाओं का संचालन प्रभावित हो सकता है, बल्कि यह मामला राजनीतिक और कानूनी मोड़ भी ले सकता है।