अल्मोडा/रानीखेत (उत्तराखंड), न्यूज व्यूज पोस्ट |
उत्तराखंड के रानीखेत स्थित घने वन क्षेत्र में पहली बार थाईलैंड का राष्ट्रीय पक्षी सियामीज़ फायरबैक (Siamese Fireback) नजर आया है। यह दुर्लभ और रंग-बिरंगा पक्षी आमतौर पर दक्षिण एशिया के कुछ देशों तक सीमित रहता है, लेकिन अब यह बिनसर महादेव मंदिर के करीब देखा गया, जिससे स्थानीय पक्षी प्रेमियों और वन विभाग में उत्साह की लहर दौड़ गई है।
उत्तराखंड में विदेशी पक्षी की मौजूदगी बनी चर्चा का विषय
प्रसिद्ध पक्षी पर्यवेक्षक सुरेंद्र सिंह जलाल ने बताया कि उन्होंने इस दुर्लभ पक्षी को बिनसर महादेव मंदिर से करीब 600 मीटर दूर जंगल में देखा। यह पहली बार है जब इस प्रजाति को उत्तराखंड के किसी जंगल में नोटिस किया गया है।“मैंने पहले कभी नहीं सोचा था कि सियामीज़ फायरबैक जैसे दुर्लभ पक्षी को हमारे पहाड़ों में देख पाऊंगा। ये अनुभव जीवनभर याद रहेगा,” – सुरेंद्र सिंह जलाल।
सियामीज़ फायरबैक: आकर्षक रंगों और शर्मीले स्वभाव वाला पक्षी
इस विदेशी पक्षी की खासियत उसके रंगीन पंख हैं जो सूरज की रोशनी में धात्विक चमक के साथ दमकते हैं। नर पक्षी की लंबाई लगभग 75 सेमी और मादा की लगभग 60 सेमी होती है। इनके पंख नीले-नारंगी रंग के होते हैं और चोंच व टांगे लाल रंग की होती हैं।
सामान्यतः यह पक्षी थाईलैंड, कंबोडिया, लाओस और वियतनाम के जंगलों में पाया जाता है। यह पक्षी फल, बीज, कीट, पत्तियां और जड़ें खाकर जीवित रहता है और मार्च से जून के बीच प्रजनन करता है।
उत्तराखंड की समृद्ध जैव विविधता का प्रमाण
इस घटना ने एक बार फिर सिद्ध किया है कि उत्तराखंड की जलवायु और वन संरचना न केवल स्थानीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय प्रजातियों को भी आश्रय देने में सक्षम है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह संकेत है कि प्रदेश का वन्य पारिस्थितिकी तंत्र अभी भी संतुलित है।
मानव हस्तक्षेप और जलवायु परिवर्तन से खतरा
हालांकि ‘सियामीज़ फायरबैक’ को फिलहाल IUCN द्वारा ‘Least Concern’ (कम खतरा) की श्रेणी में रखा गया है, लेकिन वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन और पर्यटन गतिविधियों की वजह से इसका प्राकृतिक आवास खतरे में पड़ सकता है।