शिमलाः । न्यूज़ व्यूज पोस्ट—हिमाचल प्रदेश के जनजातीय किन्नौर में जल विद्युत परियोजनाओं को ले कर नो मिंज नो का असर देखने को मिल रहा है। प्रस्तावित जंगी-थोपन प्रोजेक्ट एक बार फिर से विवादों में आ गया है। शुरूआत से यह परियोजना विवादों मंे रही है जिसके बाद सरकार ने एसजेवीएन को यह प्रोजेक्ट देने पर करार किया। मगर इसका विवाद अभी भी थम नहीं रहा है क्योंकि स्थानीय पंचायत इसका अब भी विरोध कर रही है। ऐसे में सरकार ने तय किया है कि लोगों से बातचीत की जाएगी और मामले को हल करेंगे।
शुक्रवार को सदन में किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी ने इसपर सवाल उठाया जिसपर उर्जा मंत्री सुखराम चैधरी ने कहा कि परियोजनाओं का विरोध पूरे प्रदेश में हो रहा है। कुछ लोग व संस्थाएं विरोध के लिए सामने रहती हैं जिनका यही काम है। मगर इससे विकास प्रभावित होता है। उन्होंने सदन में एलान किया कि स्थानीय लोगों के विरोध के बावजूद 780 मेगावाट क्षमता की जंगी-थोपन पन बिजली परियोजना को रद्द नहीं किया जाएगा।
प्रश्नकाल के दौरान जवाब में उन्होंने कहा कि इस परियोजना को निर्धारित समय में पूरा करने के लिए इसका विरोध कर रहे स्थानीय लोगों से बातचीत की जाएगी और उनकी आपत्तियों और शंकाओं को दूर किया जाएगा।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि इस परियोजना के लिए 25 सितंबर 2019 को एसजेवीएन के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे और अब इस परियोजना की डीपीआर तैयार की जा रही है। स्थानीय प्रतिनिधियों ने जंगी-थोपन-पोवारी परियोजना को रद्द करने की सरकार से मांग की है।
चैधरी ने कहा कि एडीएम किन्नौर की अध्यक्षता में जंगी-थोपन परियोजना को लेकर एक कमेटी भी बनाई है और वह हर गांव में लोगों से बात करेगी। उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री से भी आग्रह करेंगे कि वह परियोजना का विरोध करने वालों से बात करें और उनकी जो शंका है उसका निराकरण किया जाए।
विधायक जवाहर ठाकुर और सुरेंद्र शौरी के एक अन्य सवाल पर ऊर्जा मंत्री सुखराम चैधरी ने कहा कि लारजी पनबिजली परियोजना लाडा का गठन होने से पहले चालू हो गई थी। इसलिए इस परियोजना के क्षेत्र में लाडा से कोई राशि खर्च नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना मंडी के द्रंग और कुल्लू के बंजार विधानसभा हलके में स्थापित है। उन्होंने कहा कि लाडा को दिसंबर 2009 में अपनाया गया, जबकि लारजी पन बिजली परियोजना 25 सितंबर 2009 को चालू हो गई थी। उन्होंने कहा कि इस परियोजना को लेकर भूमि का मुआवजा सभी को दे दिया गया है और जहां तक देवता के स्नानाघाट की बात है, उसका निर्माण करवाया जाएगा।
विधायक आशा कुमारी के सवाल पर शिक्षा मंत्री गोबिंद सिंह ठाकुर ने कहा कि चंबा जिले में वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला नडाल, चनाणु, संघनी और डांड में विभिन्न श्रेणियों के कुल 41 पद खाली चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन स्कूलों में कुल 86 पद सृजित हैं और इनमें से 45 पद भरे हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि डांड स्कूल में कुल 16 पद खाली हैं, जबकि संघनी में 9 और नडाल व चनाणु स्कूल में 8-8 पद रिक्त हैं। उधर, पवन काजल के मूल और रामलाल ठाकुर के अनुपूरक सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा राजकीय उच्च तथा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं में शारीरिक शिक्षकों के रिक्त चल रहे 870 पदों को भरने का निर्णय लिया गया था। उन्होंने कहा कि इससे पहले कि इन पदों को भरने की प्रक्रिया आरम्भ की जाती, उच्च न्यायालय में कुछ अभ्यर्थियों ने याचिकाएं दायर की। उन्होंने कहा कि इसमें 26 अगस्त 2021 को उच्च न्यायालय द्वारा भर्ती प्रक्रिया पर स्थगन आदेश पारित किए गए हैं। ऐसे में उच्च न्यायालय के अन्तिम निर्णय के उपरान्त ही इन पदों को भरा जाना है। उन्होंने जानकारी दी कि वर्तमान में शिक्षा विभाग में शारीरिक शिक्षकों का 230 पदों का बैकलाॅग है।
बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में ड्रैगन फ्रूट की खेती जिला कांगड़ा और ऊना में कुछ चुनिंदा किसानों- बागवानों द्वारा पिछले दो वर्षों से अपने स्तर पर की जा रही है। सरकार इसको बढावा देने के लिए सब टाॅपिकल एरिया में पायलट प्रोजेक्ट चलाएगी। वह विधायक जीत राम कटवाल व नरेन्द्र ठाकुर के सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए हिमाचल प्रदेश के गर्म जलवायु वाले क्षेत्र अर्थात जोन-1, जिसमें समुद्रतल से 400 मीटर से 900 मीटर ऊंचाई वाले क्षेत्र आते हैं, इसके लिए अनुकूल हैं। इसके तहत जिला मण्डी का उपोष्ण क्षेत्र, ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, सिरमौर तथा सोलन (नालागढ़ व अर्की खण्ड), कांगड़ा तथा चम्बा (सिहुंता) आते हैं।