रामपुर बुशहर।
शिमला जिला के रामपुर उपमंडल के दूर दराज 15/ 20 के कूट पंचायत के लोगों की निजी जल विद्युत परियोजना निर्माताओं के साथ वर्षो पूर्व से चले विवाद को मंत्री जगत सिंह नेगी के हस्तक्षेप के बाद तेजी से सुलझाया जा रहा है। लोगों की फरियाद को जायज मानते हुए जगत सिंह नेगी ने परियोजना निर्माता को जल्द पूर्व में लोगो से किए समझौता को जमीन पर उतारने की हिदायत दी है।मंत्री ने कड़े शब्दो में कहा है कि लोगों से जो समझौते कंपनी ने परियोजना निर्माण के दौरान किए है उन्हे पूरा नहीं किया तो कंपनी अपना बोरिया बिस्तर बंद करे।
उधर लंबे अंतराल के बाद किसी नेता द्वारा ग्रामीणों की फरियाद को गंभीरता से लेने पर क्षेत्र के लोगों में खुशी का माहौल है। क्षेत्र के लोग दबी जुबान से कहने लगे है की अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के दरबार जाकर थक चुके थे किसी भी बड़े नेता ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। उल्लेखनीय की रामपुर उप मंडल के दूरस्थ पंचायत कूट के लोगों की 24 मेगावाट की कूट जल विद्युत परियोजना निर्माता के साथ लंबे समय से विभिन्न मांगों को ले कर विवाद चल रहा था । अक्टूबर 2018 में जैसे ही कूट परियोजना से विद्युत उत्पादन के लिए सुरंग व पेन स्टॉक में पानी छोड़ा गया वैसे ही कूट पंचायत के सुरु गांव में काफी मात्रा में पानी निकलने लगा , लोगों की जमीन धंसने लगी मकानो में दरारे आई। लोगों ने इस के खिलाफ आवाज उठाई। विवाद बढ़ता गया और कूट परियोजना निर्माताओ द्वारा स्थानीय लोगों पर ट्रेस पासिंग तक के मामले दर्ज कर स्थानीय लोगो को डराने का प्रयास हुआ। स्थानीय लोग कंपनी द्वारा पूर्व में किए गए समझोतो को पूरा करने की मांग करते रहे। ऐसे में कंपनी व स्थानीय लोगों बीच विवाद बढ़ता रहा। इस दौरान स्थानीय लोग क्षेत्र के नेताओं के यहां भी प्रयास लेकर के लेकिन कोई नतीजा सामने नहीं आया फिर से इस बार सितंबर माह में सुरु गांव में काफी मात्रा में पानी निकालने का सिलसिला जारी हुआ। जिससे कई मकान ध्वस्त हो गए । कई क्षतिग्रस्त हुए। फिर लोग न्याय के लिए प्रशासन एवं क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के यहां भटकने लगे। इसी बीच कुछ लोगों ने इस विवाद को सुलझाने के लिए राजस्व बागवानी एवं जनजातीय विकास मंत्री के दरबार का रास्ता दिखाया। जैसे ही लोग बागवानी मंत्री से 6 सितंबर को मिले उसके बाद मंत्री ने लोगों की गंभीर समस्या को देखते हुए 14 सितंबर को बधाल नामक स्थान में प्रशासन की मौजूदगी में कंपनी प्रबंधकों की बैठक रखी। मंत्री ने बैठक में कड़े शब्दों में कंपनी को चेतावनी भी दी कि अगर परियोजना प्रभावित क्षेत्र के लोगों की शर्तों के अनुसार मांगे पूरी नहीं की जाती है तो परियोजना बंद करवाने से भी सरकार नहीं है हिचकिचाएगी। बल्कि उन्होंने लोकल एरिया डेवलपमेंट का जो कंपनी द्वारा बकाया देन दारी है उसे 12% वार्षिक ब्याज के साथ अदा करने के भी निर्देश दिए । प्रशासन को भी मंत्री ने सुनिश्चित करने के लिए कहा कि जहां जहां भी परियोजना निर्माता ने बिना औपचारिकताओं के सरकारी भूमि कब्जाई है उसके मिसल बनाए जाए। लोगों की समस्या को चरणबद्ध रिकॉर्ड समय के भीतर पूर्ण किया जाए। मंत्री के निर्देश के बाद ही जनशक्ति विभाग ने गांव में निकल रहे पानी का लैब टेस्ट किया और यह पता लगाने का प्रयास किया कि क्या यह पानी टनल के लीकेज के कारण निकल रहा है या दूसरा है। लैब टेस्टिंग में काफी पानी उक्त परियोजना की पानी की समरूपता वाला पाया गया। ऐसे में परियोजना निर्माताओ की मुश्किल और बढ़ गई है। राजस्व एवं बागवानी मंत्री के हस्तक्षेप के बाद जहां परियोजना निर्माता ने बंद पड़े सुरु सड़क को जल्द बहाल किया। वही गांव की सुरक्षा के लिए गांव के पीछे से पाइपों को बिछाने की गतिविधियां भी तेज हो गई है। उधर मंत्री ने प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि कंपनी द्वारा स्थानीय जनता से किए गए सभी वादों को चरणबाद पूरा किया जाए। मंत्री के निर्देशों के बाद कंपनी प्रबंधन में सक्रियता आई है। प्रभावित क्षेत्र के लोगों का कहना है मंत्री जगत सिंह नेगी के सख्त रवैया के बाद सजगता आई और लोगों में न्याय की उम्मीद जगी है। इस से कूट पंचायत के लोगो में खुशी का माहौल है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि वे समस्याओं को लेकर क्षेत्रीय नेताओं को अवगत कराते रहे। लेकिन किसी ने भी उनकी दुख तकलीफ को गंभीरता से नहीं लिया। कंपनी भी इसका फायदा उठाते हुए उल्टे स्थानीय लोगों पर ही दबाव बनाती रही । बल्कि ट्रेस पासिंग आदि के झूठे मामले भी बनाए जाते रहे। पंचायत के लोगों का कहना है कि मंत्री ने बैठक में यह भी कह दिया है कि जितने भी झूठे मुकदमे कंपनी द्वारा पुलिस से मिलकर बनाए गए हैं । सभी वापस लिए जाएंगे और ऐसे पुलिस अधिकारियों को भी तलब किया जाएगा जिन्होंने कंपनी का पक्ष लेकर स्थानीय लोगों पर मुकदमे बनाए। उधर राजस्व एवं बागवानी मंत्री के सक्रियता से कूट के लोगों ने राहत की सांस ली है। दबी जुबान से कांग्रेस के लोग यह भी कहने लगे हैं कि अपने क्षेत्र के नेता सिर्फ आश्वासन एवं कागजी घोड़े दौड़ने तक सीमित है चाहे वह राज परिवार हो क्यों न हो। जमीनी स्तर पर दूर दराज लोगों की समस्याओं को प्राथमिकता से नही लेते।