रिकांगपिओ, 19 जुलाई 2025, न्यूज व्यूज पोस्ट,
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में किन्नर कैलाश यात्रा को लेकर प्रशासन और स्थानीय आस्थाओं के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश मीडिया सचिव बाबू राम नेगी ने इस संबंध में जिला प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार का “व्यवस्था परिवर्तन” का दावा अब आस्था के क्षेत्र में भी हस्तक्षेप के रूप में सामने आ रहा है।
बाबू राम नेगी ने प्रेस बयान में स्पष्ट किया कि किन्नर कैलाश क्षेत्र के स्थानीय देवता कासुराजस जी ने इस वर्ष यात्रा पर स्पष्ट रूप से पाबंदी लगाई है। बावजूद इसके, जिला प्रशासन ने ललांच क्षेत्र से यात्रा की शुरुआत कर दी है, जो स्थानीय धार्मिक परंपराओं के सीधे उल्लंघन के दायरे में आता है।
भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि यात्रा के नाम पर प्रशासन धन संग्रह कर रहा है, जो देव आस्थाओं का व्यवसायीकरण करने जैसा कृत्य है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि किन्नर कैलाश केवल एक तीर्थ स्थल ही नहीं, बल्कि माघ मास में देवी-देवताओं के मिलन का विशेष धार्मिक केंद्र है और इसके महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
उन्होंने प्रशासन से मांग की कि वह स्थानीय देव परंपराओं और कासुराजस देवता के आदेश का सम्मान करे, अन्यथा इससे जनता की धार्मिक भावनाएं आहत होंगी और सामाजिक असंतोष जन्म ले सकता है।
पृष्ठभूमि में किन्नर कैलाश की मान्यता
किन्नर कैलाश को पूरे विश्व में स्थित पांच प्रमुख कैलाशों में से एक माना जाता है। यह स्थल न केवल आध्यात्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत पवित्र है। यहाँ की परंपराएं सैकड़ों वर्षों से स्थानीय देवता और समुदायों द्वारा तय की जाती रही हैं।