रामपुर बुशहर। विशेषर नेगी—–हिमाचल प्रदेश के तिब्बत सीमा से सटे क्षेत्र के लोगों ने भी कारगिल और द्रास के लोगों की तर्ज पर अन्यत्र ट्रांजिट कैंप के लिए भूमि उपलब्ध कराने की मांग उठाई है। ऐसे में किन्नौर व स्पीति के तिब्बत सीमा से जुड़ी पांच पंचायतों ने संभावित खतरों को देखते हुए कहीं अन्यत्र मैदानी इलाके में रिहायश के लिए स्थान की मांग रखी है। उनका कहना है कि 1999 में कारगिल और द्रास सेक्टर युद्ध के दौरान वहां के लोगों को भाजपाई सरकार ने चंडीगढ़ के मणिमाजरा के समीप ट्रांसिट कैंप के लिए भूमि उपलब्ध कराई थी। जिससे युद्ध की स्थिति में बॉर्डर के लोग पलायन कर वहां जा सके। हिमाचल प्रदेश के तिब्बत सीमा के सब से निकट पंचायत नमज्ञा के पूर्व प्रधान नुरबू छोरिया ने रामपुर में पत्रकारों को बताया तत्कालीन भाजपा सरकार ने उन्हें यह विकल्प दे कर सराहनीय प्रयास किया था। छोरिया ने बताया की किन्नौर का नमज्ञा पंचायत, डुबलिंग पंचायत, नेसंग पंचायत, कुनू चारंग पंचायत व स्पिति का ग्यु पंचायत, तिब्बत सीमा से सटा है ।बीते समय में भी चाइना की ओर से सीमा के साथ गतिविधियां बढ़ाए जाने पर इन क्षेत्रों के लोग दहशत में आ गए थे और वह असुरक्षित महसूस कर रहे थे। युद्ध की स्थिति में तिब्बत सीमा के ग्रामीणों को खतरा रहता है । ऐसे में हिमाचल प्रदेश के तिब्बत सीमा क्षेत्र के निकटतम क्षेत्र के निकटतम वाली बस्तियों को ट्रांजिट कैंप के लिए कहीं शहर के आसपास आशियाने उपलब्ध कराए जाने चाहिए। ताकि किसी भी विकट परिस्थिति में वे अपना घर छोड़कर आसानी से वहां की और पलायन कर सके। उन्होंने बताया कि वर्तमान में अधिकतर ग्रामीणों के पास कोई विकल्प नहीं है। ना ही कोई रोजी के लिए अन्य वैकल्पिक साधन। ऐसे में अगर युद्ध अथवा पलायन की स्थिति बनती है । तो वह बर्बाद हो जाएंगे। नुरबू छोरिया ने बताया कि जनसंख्या की दृष्टि से तिब्बत सीमा के सबसे निकट गांव एवं पंचायत नमज्ञा की करीब 6:30 सौ की आबादी है। डुबलिंग की करीब 450, नेसंग की करीब 500, कुन्नू चारण की 500, स्पिति के ग्यु की भी लगभग 500 जनसंख्या है।
उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि उनकी फरियाद को सुना जाए और समय रहते उन्हें ट्रांजिट केम्प के लिए भूमि मैदानी इलाके में दिया जाए। उन्होंने बताया कि जल्द ही तिब्बत सीमा क्षेत्र के सभी पंचायतों के लोग सरकार से इस विषय को लेकर के निवेदन भी करने वाले हैं।