एचपी राज्य पूर्व अर्धसैनिक कल्याण और समन्वय एसोसिएशन इन दिनों अपनी स्मस्याओ और शिकायतों को निपटाने के लिए राज्य और केंद्र स्तर पर दर-दर भटक रहा है। उन का तर्क है कि अर्धसैनिक सैन्य बल सभी मोर्चों पर राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं और हम सभी अर्धसैनिक कर्मियों के परिवार को इस पर गर्व है। शांति के समय में वे सभी अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा करते हैं, नक्सल विरोधी और उग्रवाद विरोधी अभियान, संयुक्त राष्ट्र कर्तव्य, आपदा प्रबंधन कर्तव्य के अलावा अन्य कर्तव्य निभाते हैं। अब अर्धसैनिक बल भारत के अगले आम चुनाव कराने के लिए तैयार है। सभी राजनीतिक दल स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए अर्धसैनिक बल के जवानों की सेवाएं चाहते हैं, लेकिन जब अर्धसैनिक कल्याण के सवालों की बात आती है तो आंखे मूद लेते है। इस से इन बलों के पूरे कैडर को हतोत्साहित कर रही है।
सभी राजनीतिक दलों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है। एक मामले में तो उच्च स्तर पर यह बात भी उठी कि चूँकि वे एकजुट नहीं हैं, इसलिए उन्हें उनका लाभ नहीं दिया जा सकता।
हाल ही में, मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश ने उनकी शिकायतें सुनीं और आश्वासन दिया कि वह इस महीने के दूसरे सप्ताह में उनके बैठक स्थल का दौरा करेंगे। ऐसे में उदासीनता के चलते अर्धसैनिक बलों में भारी आक्रोश है। हिमाचल की 70 लाख की आबादी में से लगभग एक लाख 85 हजार सेवानिवृत एवं सेवारत कर्मियों, जिनके परिवार की संख्या 9 लाख तक जाती है जानबूझ कर उन की समस्याओं और मांगों को टालना आने वाले समय में राजनीतिक दलों को भारी पड़ सकता है।
अब सेना सहित संघ के सभी सशस्त्र बलों के साथ हाथ मिलाने का प्रयास आरंभ हो गया है । ताकि राजनेताओं को केवल राजनीतिक लाभ के लिए अर्धसैनिक बलों के जवानों की झूठी प्रशंसा करने और शहीदों पर पुष्पांजलि अर्पित करने से पहले आत्मीयता जागे। संघ की ओर से बताया कि पैरामिलिट्री एसोसिएशन और आर्मी एसोसिएशन इन चुनावों में सामूहिक आह्वान करेंगे और इन बहादुर व्यक्तियों और वीर नारी के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता के प्रति एकजुटता दिखाएंगे।
अर्धसैनिक बलों के जवानों की मुख्य मांगें हैं:
- सैनिक कल्याण बोर्ड की तर्ज पर सभी जिलों और राज्य स्तर पर अर्ध सैनिक कल्याण बोर्ड की स्थापना।
- “हिमाचल प्रदेश राज्य पूर्व अर्धसैनिक समन्वय एवं कल्याण संघ” को मान्यता प्रदान करना।
- सरकारी प्राधिकरण के अनुसार सभी वैध कार्ड धारकों के लिए पास में स्थित एसएसबी, आईटीबीपी, बीएसएफ और सीआरपीएफ केंद्र से राज्य के भीतर कैंटीन/केंद्रीय भंडार और शराब की दुकानों की मुफ्त आवाजाही की अनुमति दें।
- आईजीएसटी और एसजीएसटी के राज्यों के हिस्से से किराना दुकानों को मुफ्त कर सुविधाएं देना और सेना की तर्ज पर जीएसटी पर 100% छूट के लिए जीएसटी परिषद में मामला उठाना।
- केंद्र सरकार के निर्देशानुसार सेवानिवृत्त सीएपीएफ को पूर्व सीएपीएफ कर्मियों के रूप में नामित करना और पूर्व सेना कर्मियों के बराबर सभी लाभ प्रदान करना। शासकों को अपनी संख्यात्मक ताकत दिखाने के लिए राज्यव्यापी सदस्यता अभियान पहले से ही पूरे जोरों पर है। और सभी अर्धसैनिक कर्मियों और उनके परिवारों से जल्द से जल्द इसमें शामिल होने का आह्वान किया गया है।