शिमला।न्यूज व्यूज पोस्ट, हिमाचल प्रदेश पुलिस महानिदेशक (DGP) डॉ. अतुल वर्मा 31 मई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसे में प्रदेश में पुलिस महकमे के अगले मुखिया को लेकर प्रशासनिक गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। सवाल यही है—वरिष्ठता का मान रखा जाएगा या फिर सरकार अपने पसंदीदा चेहरे को कमान सौंपेगी?
वर्तमान डीजीपी डॉ. अतुल वर्मा वर्ष 1991 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और उन्होंने संजय कुंडू के सेवानिवृत्त होने के बाद प्रदेश पुलिस प्रमुख का पदभार संभाला था। हालांकि, अब उनका कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है।
सबसे वरिष्ठ अधिकारी भी होंगे रिटायर
पुलिस महानिदेशक पद की दौड़ में सबसे वरिष्ठ अधिकारी 1989 बैच के डीजी जेल एस.आर. ओझा हैं, लेकिन वे भी मई माह में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसे में उनकी नियुक्ति की संभावना लगभग नगण्य मानी जा रही है।
श्याम भगत नेगी दौड़ में सबसे आगे
इसके बाद वरिष्ठता क्रम में नाम आता है 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी श्याम भगत नेगी का, जो वर्तमान में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। जब पूर्व डीजीपी संजय कुंडू रिटायर हुए थे, तब भी नेगी का नाम संभावित विकल्पों में चर्चा में था। जिला किन्नौर से ताल्लुक रखने वाले नेगी का लंबा प्रशासनिक अनुभव और दिल्ली में केंद्र सरकार के साथ काम करने का रिकार्ड उनके पक्ष में जाता है।
अन्य संभावित नाम भी हैं लाइन में
1993 बैच के आईपीएस अनुराग गर्ग भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत हैं। इसी बैच के अशोक तिवारी इस समय डीजी विजिलेंस के पद पर तैनात हैं। यदि सरकार वरिष्ठता को नजरअंदाज करने का फैसला करती है तो अशोक तिवारी विकल्प हो सकते हैं।
सेवा विस्तार भी एक विकल्प
सरकार के पास मौजूदा डीजीपी डॉ. अतुल वर्मा को सेवा विस्तार देने का विकल्प भी खुला है। इससे पहले मुख्य सचिव को छह माह का सेवा विस्तार देकर सरकार ने यह संकेत दे दिया है कि वह जरूरत पड़ने पर इस विकल्प का इस्तेमाल कर सकती है।
सरकार के फैसले पर टिकी निगाहें
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार वरिष्ठता को प्राथमिकता देती है, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से किसी अधिकारी को बुलाकर जिम्मेदारी सौंपती है, या फिर किसी जूनियर को सुपरसीड कर पुलिस विभाग की बागडोर थमाती है। जो भी हो, अगले डीजीपी का फैसला प्रशासनिक दिशा और प्रदेश की कानून व्यवस्था पर अहम असर डालेगा।