रामपुर बुशहर। विशेषर नेगी।
एसजेवीएन की लुहरी परियोजना निर्माताओ के खिलाफ प्रभावितों ने अपनाए बगावती तेवर। भूमि अधिग्रहण के समय छलाव कर लोगों से सर्कल रेट से आधे दरों पर भूमि लेने का लगाया आरोप। रोजगार के मामले में भी प्रभावितों के साथ भेदभाव किए जाने का लगाया आरोप। रामपुर के निरथ में सूर्य नारायण बाध विस्थापित संघर्ष समिति ने पत्रकार वार्ता कर न्याय के लिए संघर्ष करने की दी धमकी।
शिमला जिला के निरथ के समीप एसजेवीएन की निर्माणाधीन 210 मेगावाट की लुहरी जल विद्युत परियोजना के खिलाफ परियोजना प्रभावितो ने आवाज बुलंद की है । सूर्य नारायण बांध स्थापित संघर्ष समिति के बैनर तले आज निरथ में परियोजना प्रभावितों एवं विस्थापितों ने पत्रकार वार्ता की। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के समय परियोजना निर्माताओ ने लोगों से छलावा कर भूमि अधिग्रहण किया है। उन्हे बाजार भाव यानी राजस्व विभाग के सर्कल रेट से आधी कीमत पर उन की भूमि ली गई। इस दौरान प्रभावितों को निगम में स्थाई नौकरी देने, विस्थापितों को गृह निर्माण में सहायता आदि कई प्रलोभन दिए। उन्होंने बताया की सर्कल रेट से आधी कीमत में भूमि लेने बारे समझौता किन लोगो से हुआ उन्हे जानकारी नहीं।बल्कि परियोजना निर्माताओ ने भूमि हस्तांतरण के दौरान कई तरह के समझौते एवं प्रलोभन दिए है जिन्हे लागू करने से परियोजना निर्माता मुकर रहे है। समझौते के अनुसार विस्थापितों को नोकरी या पांच लाख रुपए एक मुश्त देने की बात कही थी। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि परियोजना निर्माताओ ने अब तक किसी भी परियोजना प्रभावित को निगम में नौकरी नहीं दी है ।बल्कि जिनको ठेकेदार के माध्यम से नौकरी मिली है। उन्हें भी रोजगार देने के नाम पर नौकरी के बदले दी जाने वाली पांच लाख की एक मुश्त राशि को काटा जा रहा है। जबकि वे ठेकेदार के माध्यम से अपनी काबिलियत से नौकरी पाए है। अगर ऐसा है तो बाहरी राज्यों अथवा अन्य क्षेत्रों से सैकड़ो की संख्या में ठेकेदारों के माध्यम से मजदूर कम कर रहे हैं । उन्होंने बताया कि उक्त समस्याओं को लेकर प्रदेश सरकार से भी समिति ने चर्चा की है और सरकार ने इस दिशा में गंभीरता दिखाई है। उन्हें उम्मीद है कि सरकार बीच का रास्ता निकाल कर प्रभावितों की समस्याओं का समाधान करेगी। उन्होंने कहा कि अगर उनकी बात एवं उनकी मांगों पर गौर नहीं किया गया तो वह विकल्प के रूप में न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।
सूर्य नारायण बांध स्थापित संघर्ष समिति के सलाहकार ओमप्रकाश ने बताया कि परियोजना में 500 से अधिक लोगों की भूमि गई है। लेकिन उन्हें सर्किट रेट के हिसाब से भूमि का मुआवजा नहीं मिला है और ना ही परियोजना में रोजगार दिया गया। पॉल्यूशन के मामले में भी नियमों की अनदेखी हुई है। सरकार से मांग करते हैं कि उनकी समस्याओ पर गौर करें।
पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी प्रेम सिंह दरेक ने बताया कि पूर्व सरकार के समय लोगों के साथ अन्याय हुआ है। लोगों की परियोजना निर्माण के लिए जमीन ली गई है। उन्हें सर्किल रेट से आधी कीमत पर जमीन ली गई है प्रभावित से छलावा हुआ है। इसके अलावा रोजगार में भी उनसे भेदभाव हुआ है। पूर्व सरकार और अधिकारियों की मिलीभगत से प्रभावितों को हकों से वंचित किया गया है।