रामपुर बुशहर –विशेषर नेगी ———–
–हिमाचल के ऊपरी क्षेत्र में स्टोन फ्रूट ग्रोवर्ज की बड़ी
मुश्किले । पहले तेज बारिश के बाद ठंड ने फ्लावरिंग पर डाला खलल। उसके
बाद सूखे ने बागवानों के अरमानों पर फेरा पानी। ऐसे में इस बार पिछले
वर्ष के मुकाबले प्लम बादाम की फसल 50 फ़ीसदी से भी कम होने की उम्मीद ।
बागवानों ने सरकार से उठाई राहत की मांग।- हिमाचल प्रदेश के प्लम बादाम बहुल क्षेत्र के बागवानों के
चेहरो से रौनक गायब हो गई है। पहले फ्लावरिंग के दौरान तेज वर्षा और
अचानक ठंड बढ़ी, इससे फल सेटिंग प्रभावित हुआ और उसके बाद लगातार सूखे की
मार ने रही सही कसर पूरी कर दी है। बागवानी विशेषज्ञो के अनुसार इस बार
तापमान में मौसम के हिसाब से औसतन अधिक वृद्धि हुई है। जो गुठलीदार फलों
के लिए नुकसानदायक रहा। ऐसे में बीते वर्ष के मुकाबले बगीचों में फसल
आधी से भी कम होने की उम्मीद है। प्लम बादाम बहुल क्षेत्रो में अधिकतर
बागों में फसल न के बराबर है। जिन बागवानों की रोजी प्लम बादाम की
बागवानी पर ही निर्भर है। उन्हें रोजी चलानी मुश्किल हो गई है। उन्होंने
सरकार से आर्थिक मदद की मांग उठाई है।
— कलना गांव की रहने वाले बजुर्ग महिला जूही देवी ने बताया कि इस
बार प्लम की फसल बिल्कुल भी नहीं है। पेड़ो में प्लम के दाने देखने को
भी नहीं है। फ्लावरिंग तो अच्छी हुई लेकिन इस दौरान तेज बारिश हुई और
फिर सारे फूल झड़ गए।
–बागवान पुनाराम ने बताया कि उनके सात आठ सौ बॉक्स प्लम के निकलते
थे, लेकिन इस बार फ्लावरिंग के दौरान मोटी मोटी बारिश आई और ठंड बढ़ गई
जिस से फूल झड़ गए। अब उनकी रोजी आगे कैसे चलेगी परेशान है। सरकार से मदद
की उम्मीद है।
–बागवान पूरन चंद ने बताया कि इस बार पौधों में फ्लावरिंग अच्छी
हुई लेकिन इस दौरान बारिश तेज हुई और इससे ठंड बढ़ गई। और फूल ठण्ड से
मुरझा गए ,जो कसर बची थी वह अब सूखे की मार ने पूरी कर दी।
–बागवान शिवलाल ने बताया कि उन के पलम के करीब 500 बॉक्स निकलते
थे। लेकिन इस बार बिल्कुल भी प्लम की फसल उनके बगीचे में नहीं है।
उन्होंने बताया फ्लावरिंग के दौरान तेज बारिश हुई और ठंड बढ़ गई जिससे
फूल झड़ गए। रही सही कसर जो अब सूखा पड़ा है और तापमान में वृद्धि हुई
है उसे पूरी हुई.– डॉक्टर अश्वनी कुमार चौहान बागवानी विभाग के विषय विशेषज्ञ ने
बताया सर्दियों में बागवानी के लिए मौसम काफी अनुकूल रहा। बर्फबारी भी
आशानुरूप हुई। लेकिन जब स्टोन फ्रूट की फ्लोरिंग हुई और सेटिंग के
दौरान तेज बारिश हुई और ठंड बढ़ गई। इससे फ्लावरिंग प्रभावित हुआ और अब
लगातार सूखा पड़ा । इस बार औसतन से तापमान में भी अधिक वृद्धि हुई
है। इससे प्लम बादाम की फसल को पचास फीसदी से अधिक नुकसान हुआ है।