निरमंड। न्यूज व्यूज पोस्ट ___ हिमाचल प्रदेश भवन सड़क एवं अन्य निर्माण मजदूर यूनियन (संबंधित सीटू) ब्लॉक यूनिट निरमण्ड की बैठक निरमण्ड में सम्पन्न हुई। यूनियन ने राज्य सरकार द्वारा मनरेगा मज़दूरों को श्रमिक कल्याण बोर्ड से मिलने वाले लाभ बंद करने का कड़ा विरोध किया है और सरकार से इस फैसले को रद्द करने की मांग की है।
यूनियन जिला महासचिव अमित, सनी राणा, कश्मीरी, परस राम, कृपाल, बृज लाल, भीषम पाल, मनोहर, किशन देव, परमिंदर, भाग चंद, नीरथ राम आदि ने कहा कि प्रदेश सरकार ने मनरेगा मजदूरों को राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड की सदस्यता से वंचित कर मजदूरों को बोर्ड से मिलने वाले लाभों को रद्द करवा कर, मनरेगा मजदूर विरोधी काम किया है। सरकार के इस मजदूर विरोधी फैसले के खिलाफ यूनियन 12 अक्टूबर को निरमण्ड में प्रदर्शन करेगी और प्रदेश भर मे होंगे खंड स्तर पर धरने प्रदर्शन।
प्रदर्शन से पहले गांव स्तर मनरेगा मजदूर विरोधी सरकार के फैसले के खिलाफ प्रचार अभियान चलाकर हर एक मजदूर को जागरूक किया जाएगा और हर मजदूर तक पर्चा पहुंचाया जाएगा।
राज्य सरकार मनरेगा मजदूरों को ₹350 की न्यूनतम मजदूरी लागू नहीं कर रही है और उन्हें ₹212 ही दिए जा रहे हैं।
अब राज्य सरकार ने मनरेगा मजदूरों को राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड से मिलने वाली सहायता राशि भी बंद कर दी है। जिस कारण अब मजदूरों के बच्चों को मिलने वाली शिक्षण छात्रवृत्ति,विवाह, शादी, चिकित्सा प्रसूति, पेंशन इत्यादि की सहायता बंद हो जाएगी। इससे पहले वर्तमान भाजपा सरकार ने मजदूरों को मिलने वाली सहायता सामग्री जैसे वाशिंग मशीन, इंडक्शन, हीटर, सोलर लैंप, साइकिल, कंबल, डिनर सेट, टिफिन बॉक्स, वाटर फिल्टर इत्यादि बंद कर दिए हैं।
2017 मे सरकार ने मनरेगा मजदूरों का बोर्ड मे पंजीकरण के लिये 50 दिनो की बढ़ाकर 90 दिन कर दिया था और अब मनरेगा मनरेगा मजदूरों को बोर्ड से बाहर कर रही है। यूनियन ने मांग की है कि सरकार जल्द अपना फैसला बदले अन्यथा यूनियन आने वाले विधानसभा चुनावों में इसे मुद्दा बनाएगी और भाजपा को सत्ता से बाहर करने का काम करेगी।