दिल्ली। न्यूज व्यूज पोस्ट/आईआरसी के अनुसार: एसपी:91-2019 (सड़क सुरंगों के लिए दिशानिर्देश) भूमि की उपलब्धता, यातायात की मात्रा, सुरंग की लंबाई तथा अतिरिक्त लागत जैसे विभिन्न कारकों को ध्यान में रखते हुए ट्रैफिक टनल के निकट पृथक सर्विस टनल पर डिजाइन चरण में विचार किया जा सकता है। यह अतिरिक्त सुरंग रखरखाव के लिए, सुरंग को बंद करने के बगैर, पहुंच प्रदान करती है। इस सर्विस टनल का उपयोग आपात स्थिति के दौरान भागने के मार्ग के रूप में किया जा सकता है।
धरासु-यमुनोत्री राजमार्ग (एनएच-134) पर सिल्क्यारा द्वि-दिशात्मक सुरंग में, वाहनों के क्रॉसओवर के लिए 565 मीटर के औसत फासले पर निकास द्वार के साथ-साथ कैरिजवे के केंद्र में पृथक दीवार का प्रावधान प्रदान किया गया है और आपात्कालीन स्थितियों के दौरान बचने के लिए पैदल यात्री क्रॉस मार्ग के लिए 300 मीटर के औसत फासले का भी प्रावधान है।
वर्तमान में, देश भर में राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) पर 34 सुरंग परियोजनाएं प्रगति पर हैं, जिनमें से 26 सुरंग परियोजनाएं हिमालय क्षेत्र में हैं। सभी परियोजनाओं की सुरक्षा को सर्वोपरि ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया गया है। इन परियोजनाओं को साइट-विशिष्ट आवश्यकताओं, स्थापित कोडों के अनुसार कार्यान्वित किया जाता है, जिसमें आपात स्थिति के लिए आवश्यक सुरक्षा उपाय शामिल होते हैं, जैसे कि भागने के लिए टनल, क्रॉस पैसिज के साथ ट्विन ट्यूब, पृथक दीवार के साथ आपातकालीन निकास द्वार, वाहन खड़ा करने का स्थान, आटोमेटिक फायर
डिटेक्शन और सप्रेशन सिस्टम आदि।
फंसे हुए श्रमिकों को चिकित्सा सहायता दी गई और वे अच्छे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में पाए गए। वित्तीय सहायता के रूप में कार्यदायी संस्था द्वारा प्रत्येक श्रमिक को एक महीने के वैतन सहित अवकाश के अतिरिक्त 2.00 लाख रूपये की धनराशि का भुगतान किया गया है। उपरोक्त के अलावा, उत्तराखंड सरकार ने सभी फंसे हुए श्रमिकों में से प्रत्येक को 1-1 लाख रुपये की वित्तीय सहायता भी प्रदान की है।
यह जानकारी केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आज राज्यसभा को एक लिखित उत्तर में दी।