नई दिल्ली। न्यूज व्यूज पोस्ट।
देश में चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार की दिशा में तेजी से काम हो रहा है। वर्तमान में देश में कुल 74,306 स्नातकोत्तर (पीजी) और 1,18,190 एमबीबीएस सीटें उपलब्ध हैं। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के अनुसार, देश में 13,86,150 एलोपैथिक डॉक्टर पंजीकृत हैं, जबकि आयुष मंत्रालय के मुताबिक 7,51,768 आयुष डॉक्टर कार्यरत हैं। उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर, देश का डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात 1:811 आंका गया है, जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के 1:1000 के मानक से बेहतर स्थिति की ओर संकेत करता है।
स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकार की पहल
सरकार चिकित्सा शिक्षा और डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रही है। इनमें प्रमुख हैं:
- नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना: केंद्र प्रायोजित योजना के तहत 157 नए मेडिकल कॉलेजों की मंजूरी दी गई थी, जिनमें से 131 पहले ही कार्यरत हैं।
- मेडिकल सीटों में बढ़ोतरी: राज्य और केंद्र सरकार के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस और पीजी सीटें बढ़ाने के लिए उनके उन्नयन की प्रक्रिया जारी है।
- सुपर स्पेशियलिटी सुविधाएं: प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) के तहत 75 सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉकों को मंजूरी दी गई, जिनमें से 71 पूरे हो चुके हैं।
- एम्स का विस्तार: केंद्र सरकार की योजना के तहत 22 एम्स को मंजूरी मिली है, जिनमें से 19 में एमबीबीएस पाठ्यक्रम शुरू हो चुका है।
ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सेवाओं को बढ़ावा
ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है:
- फैमिली अडॉप्शन प्रोग्राम (एफएपी): एमबीबीएस पाठ्यक्रम में इस कार्यक्रम को जोड़ा गया है, जिसके तहत मेडिकल कॉलेज गांवों को गोद लेते हैं और छात्र वहां परिवारों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करते हैं।
- विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए प्रोत्साहन: ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले विशेषज्ञ डॉक्टरों को हार्ड एरिया भत्ता दिया जाता है।
- प्रसूति और आपातकालीन देखभाल में सुधार: सिजेरियन सेक्शन के लिए प्रशिक्षित स्त्री रोग विशेषज्ञों और एनेस्थेटिस्ट को विशेष मानदेय प्रदान किया जा रहा है।
- डॉक्टरों की भर्ती में लचीलापन: राज्यों को “आप बोली लगाएं, हम भुगतान करें” रणनीति के तहत विशेषज्ञ डॉक्टरों को आकर्षित करने की अनुमति दी गई है।
सरकार की दूरगामी रणनीति
सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत गैर-मौद्रिक प्रोत्साहन और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को भी बढ़ावा दे रही है। दुर्गम क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों को स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्राथमिकता देने और आवास सुविधाओं में सुधार जैसे कदम उठाए गए हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने राज्यसभा में लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। सरकार की ये योजनाएं देश में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने और डॉक्टरों की उपलब्धता को बढ़ाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती हैं।