रामपुर बुशहर / विशेषर नेगी —
– हिमाचल प्रदेश में देखने में आया है तमाम निजी बैंक अनुसूचित
जाति वर्ग के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए नहीं दे रहे हैं एजुकेशन
लोन। इस मामले को केंद्र और प्रदेश से गंभीरता से उठाने का किया
जाएगाप्रयास। इस बात का खुलासा रामपुर पत्रकार वार्ता में किया हिमाचल
प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग केअध्यक्ष वीरेंद्र कश्यप ने। उन्होंने कहा
हिमाचल प्रदेश में जनजाति क्षेत्रों में एट्रोसिटी एक्ट जाती आधार पर
लगाने का हो प्रावधान। जनजाति क्षेत्रों में प्रधान पंचायत समिति
अध्यक्ष जिला परिषद अध्यक्ष पदके लिए अनुसूचित जाति के व्यक्ति को
आरक्षण ना होने पर भी जताई आपत्ति कहा सरकार से उठाएंगे मामला। एट्रोसिटी
के मामलो में पुलिस तीन घंटे के भीतर करे मामला दर्ज। देरी होने पर
संबंधित जिला के पुलिस प्रमुख करे जवाब तलब।
हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष वीरेंद्र
कश्यप ने रामपुर में अपनी सरकार के व्यवस्थाओं को ही प्रश्नांकित
करते हुए बताया कि अनुसूचित जाति के छात्रों को जो ऋण लेकर उच्च शिक्षा
प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें तमाम निजी बैंक हिमाचल प्रदेश में ऋण
नहीं दे रहे हैं। जबकि संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर ने संविधान
में सभी को समान शिक्षा प्रावधान किया था ताकि उच्च शिक्षा पा का
समानता बने। सरकारों द्वारा भी उच्च शिक्षा के लिए ऋण की व्यवस्था
बैंकों से की गई है। लेकिन निजी बैंक बिल्कुल भी अनुसूचित जाति के
बच्चों को शिक्षा के लिए ऋण नहीं दे रही। आने वाले दिनों में हम इस बात
को लेकर केंद्र तक जाएंगे और संबंधित मंत्रालय से भी इस बात को उठाएंगे।
उन्होंने इसी मुद्दे पर हिमाचल प्रदेश के शिक्षा सचिव, उच्च शिक्षा
निदेशक व् हिमाचल प्रदेश के बैंकों के जो कोऑर्डिनेटर है उन को भी
अपने कार्यालय तलब कर बैठक की थी और केंद्र और प्रदेश सरकार की एजुकेशन
पॉलिसी क्या है. वह जानने का प्रयास किया। उनको हिदायत दी कि आने वाले
दिनों में बच्चों को प्रोत्साहित करें जो गरीब बच्चे हैं जो उच्च शिक्षा
के लिए ऋण लेना चाहते हैं उन्हें निजी बैंक भी प्रोत्साहित करते हुए ऋण
दे। उन्होंने यह भी बताया की एट्रोसिटी एक्ट से जुड़े अपराध में मामले
दर्ज करने में कोताही बरती जा रही है। सभी जिला पुलिस प्रमुखों को
निर्देश दिए गए हैकि ऐसी स्थिति में तीन घंटे के भीतर मामला दर्ज हो।
अगर कोताही बरती तो ऐसे अधिकारियो के खिलाफ जिला पुलिस प्रमुख सज्ञान ले।
उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्र अगर कहीं घोषित होता है तो वह स्वागत
योग्य है। लेकिन जाति आधार पर जो घटनाएं होती है वह ना हो। जो
प्रीवेंशन आफ एट्रोसिटी एक्ट 1989 बनाया गया है ,वह लागू सभी जगह हो।
जनजाति क्षेत्रों में भी यह एक्ट जाति धार पर लागू होना चाहिए,
क्योंकि उन क्षेत्रों में ऐसी घटनाएं हो रही है। वहां जनजाति के लोग
अनुसूचित जाति के लोगों पर ऐसे अत्याचार करते है। लेकिन उन पर एट्रोसिटी
जनजाति के कारण नहीं लग रहा है। वीरेंदर कश्यप ने कहा कि जनजातीय
क्षेत्रों में जो आरक्षण है पंचायती राज संस्थाओं में है वः तर्कसंगत
नहीं है। किन्नौर में उन्होंने पाया कि पंचायत प्रधान ,पंचायत समिति
अध्यक्ष व जिला परिषद अध्यक्ष अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नहीं है।
जबकि पंच ,बीडीसी मेंबर वह जिला परिषद सदस्य के लिए आरक्षण है। ऐसे में
आरक्षित वर्ग का अध्यक्ष उस क्षेत्र में आरक्षण के बूते पर नहीं बन
सकता है। ऐसे में ट्राइबल क्षेत्र में अभी जो दूसरी जगह पर आरक्षण है उसी
आधार पर वहां भी अनुसूचित जाति को आरक्षण मिलना चाहिए। उन्होंने बताया कि
इस मामले को वह हिमाचल सरकार केंद्र के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता
विभाग व राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग से भी उठाएंगे। इस दौरान हिमकोफेड
के अध्यक्ष कॉल नेगी ने भी सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों का उल्लेख किया।