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किन्नौर की संस्कृति और परंपरा को समझाने की अनूठी पहल

किन्नौर / विशेषर नेगी —

किन्नौर जिला के प्रथम गांव की स्वयं सहायता समूह से जुडी
महिलाओ की अनूठी पहल । पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ अपनी समृद्ध
संस्कृति से रूबरूह कराते हुए आय सृजन का खोजा सशक्त माध्यम। चौरा गाँव
के समीप नेशनल हाइवे पांच पर बने प्राकृतिक सुरंग के साथ समूह द्वारा
स्थापित अस्थाई स्टाल पर्यटकों की बनी पहली पसंद।–

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से एक सौ छियासठ किलोमीटर दूर
किन्नौर जिला के प्रथम गाँव चौरा के समीप प्रकृतिक छोटा सुरंग इन दिनों
आकर्षण का केंद्र बना है। पर्यटक यहाँ पहुँचते ही पहाड़ी संस्कृति ,
रीति रिवाज , किन्नौरी परिधान , आभूषणों और खान पान से रूह ब रूह हो
रहे है रहे है। ऐसे में यह स्थान एक पिकनिक स्पॉट के साथ जनजातीय जीवन
शैली को प्रदर्शित करने का माध्यम बन गया है। वैसे भी इस स्थान को
लाल सिंह चड्डा फिल्म से ले कर हाइवे मूवी में फिल्माया गया है। इस स्थान
के महत्व को समझते हुए चौरा गाँव की ठोर स्वयं सहायता समूह से जुडी
महिलाओ ने न केवल फ़ूड स्टाल लगा कर स्थानीय पारम्परिक व्यंजनों को
परोसना शुरू किया है बल्कि जनजातीय जिला किन्नौर की समृद्ध संस्कृति
,परिधान एवं आभूषणों की भी बारीकी से पर्यटकों को जानकारी उपलब्ध करा
रही है। इस सौहार्दपूर्ण सहयोग और दर्शन से पर्यटक उत्साहित है और इस
प्रयास के कायल भी हुए है। इतना ही नहीं यह मिनी टनल जिसे स्थानीय भाषा
में खोल रागा कहते है ,हर पर्यटक को सेल्फी के लिए विवश कर रहा है।
क्षेत्रीय जानकारियों से अनविज्ञ पर्यटक इस पिकनिक स्पॉट पर लजीज व्यंजन
और पहाड़ी समृद्धि संस्कृति एवं परम्परा की बारीकी से जानकारी मिलने से
खुश है। पर्यटकों का कहना है इस तरह के अनूठे प्रयास भविष्य में
पर्यटन को चार चाँद लगाएंगे। स्वयं सहायता समूह से जुडी महिलाये भी
स्थानीय पकवानो की आशानुरूप बिक्री से आत्मनर्भरता की ओर अग्रसर है। उन
का कहना है की एक ही स्थान पर पर्यटकों को अपनी संस्कृति,खान पान और
परिधानों से अवगत कराने के साथ आय सृजन का विकल्प भी मिला है।

गुजरात सूरत से आये पर्यटक गौरांग सोलंकी ने बताया ,बाइक पर
स्पीति वैली की ट्रिप पर निकले है। जैसे ही उन्होंने किन्नौर जिला के
पहले गांव चौरा में प्रवेश किया तो देखा कि महिलाएं एक स्टॉल लगाकर
बैठी हैं। मुझे जानने की इच्छा हुई और रुक कर उनसे पूछा और देखा कि
वहां पर वे टूरिस्ट को अपनी संस्कृति से अवगत करा रहे हैं और डिस्प्ले
मैं भी अपने ट्रेडिशनल ड्रेस और ज्वेलरी वगैरह डिस्प्ले किया है।
यह भी पता चला कि यह सब चीजें कब और कैसे इस्तेमाल करते हैं। उन्हें
यहां की संस्कृति को नजदीक से जाने का मौकामिला।सूरत गुजरात के पर्यटक राकेश शर्मा ने बताया स्पीति का टूर कर
जब वे वापिस आ रहे थे तो किन्नौर के चौरा नामक स्थान में एक छोटा सा
टनल है। टूरिस्ट यहां पर अक्सर रुकते हैं और इंजॉय करते है। उन्हें यहां
एक स्टॉल दिखा जो स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाये चला चला
रही है। वे यहां लोकल पकवान बनाती है और स्थानीय संस्कृति और परंपरा के
बारे में भी बताती है। यहां पर उन्होंने अपने पहनावा और आभूषण बगैरा
लगा लगा रखे हैं ,ताकि पर्यटक किन्नौर की संस्कृति , वेश भूषा और
परम्परा समझ सके। उन्हें यह देखकर अच्छा लगा कि वह किन्नौर के कल्चर को
कल्चर को प्रमोट कर रहे हैं।- किरण ने बताया टनल के पास ठोर स्वयं सहायता समूह की महिलाओ का
फ़ूड स्टाल खोलने का मकसद अपने आजीविका को आगे बढ़ाना है। स्वयं सहायता
समूह की सारी महिलाएं जुड़ी है। यहाँ वे बाहर से आने वाले पर्यटकों का
स्वागत करती है। वे यहां के पारंपरिक पकवान पर्यटकों को खिलाते हैं और
उनके महत्व के बारे में भी बताते है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा लोकल
ड्रेसेस भी रखी है और पर्यटकों को बताया जाता है कि इन्हे कैसे पहना
जाता है और कैसे कैसे आभूषण है। टूरिस्ट आकर इन्हे पहनते है और अपना
मनोरंजन करते है।

– स्वयं सहायता समूह की नितिका ने बताया कि चौरा किन्नौर का पहला
गांव है और जो पीछे प्राकृतिक सुरंग है ,यहां पर लाल सिंह चड्ढा, हाईवे
मूवी की भी शूटिंग हुई है। यहां पर टूरिस्ट किन्नौर के लिए जाते है तो
रुकते है और फोटो शूट करते है। हमने सोचा कि यहां पर एक स्टाल खोला
जाए, जिससे हमारी आमदनी भी होगी और साथ में टूरिस्ट को यह भी बताएंगे कि
किन्नौर में क्या-क्या पकवान बनते हैं, कैसे बनते हैं और इसमें क्या
मेडिसिनल वैल्यू है। इसके साथ साथ हमने किनौरी परिधान और आभूषण भी रखी
है जो टूरिस्टों को पहनाते हैं और टूरिस्ट काफी खुश है। स्वयं सहायता समूह की कल्पना ने बताया चौरा किन्नौर का पहला गांव
है ,जहां पर हम खड़े हैं वह चौरा से थोड़ा आगे हैं। जहां पर फिल्म और
मूवी की शूटिंग हुई है और इस वजह से यह स्थान एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन
बना है। समूह की महिलाओ ने निर्णय लिया कि यह स्थान स्थानीय पकवानो
और संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए सही है, इसलिए स्थानीय
व्यंजनों को परोसना शुरू किया और लोगों से रिव्यू भी लिया। यहाँ
विभिन्न पकवानो व परिधानों के बारे पर्यटकों से उन प्रतिक्रिया साँझा
करते है

– स्वयं सहायता समूह की कविता ने कुछ किन्नौरी पकवानो की
जानकारी देते हुए बताया चली को डाल कर चूल फाइटिंग बनता है और जिसे
लफी भी कहा जाता है. इसके अलावा बुरास की चटनी, चौलाई की खीर जिस में
ड्राई फ्रूट्स जो स्थानीय होते है लगाया जाता है। कोदे क आटे के चीलटू
लोकल मक्खन के साथ देते हैं। बुरास के फूलो का जूस भी बेचते है। यह
स्थान छोटे टनल के नाम से प्रसिद्ध है। यहां पर लाल सिंह चड्ढा हाईवे
आदि मूवीस की शूटिंग हुई

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