दिल्ली । न्यूज व्यूज पोस्ट/
एसबीएम (जी) चरण-II को 2020-21 से लागू किया जा रहा है जिसका उद्देश्य ओडीएफ स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने और देश के सभी गांवों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) करने के लिए है, यानी 2024-25 तक गांवों को ओडीएफ से ओडीएफ प्लस में बदलना है। एसबीएम (जी) चरण-II के अंतर्गत निम्नलिखित सामुदायिक स्तर एसएलडब्ल्यूएम गतिविधियों को वित्तपोषित किया जाता है:
- खाद तैयार करने या जैव-गैस संयंत्रों के माध्यम से बायोडिग्रेडेबल कचरे का प्रबंधन।
- गैर-बायोडिग्रेडेबल (प्लास्टिक) कचरे के लिए भंडारण/पृथक्करण केंद्र का निर्माण।
- ब्लॉक/जिला स्तर पर प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन इकाइयों की स्थापना।
- सोख्ता गड्ढों/लीच गड्ढों/मैजिक गड्ढों के माध्यम से, जहां भी संभव हो, या अन्य धूसर जल प्रबंधन प्रौद्योगिकियों जैसे अपशिष्ट स्थिरीकरण तालाब, निर्मित आर्द्रभूमि, आदि के माध्यम से जहां भी आवश्यक और व्यवहार्य हो, धूसर पानी का प्रबंधन।
- मल कीचड़ प्रबंधन (एफएसएम), जहां भी आवश्यक हो, आसपास के शहरी/ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूदा सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी)/मल कीचड़ उपचार संयंत्र (एफएसटीपी) सुविधाओं में सह-उपचार के माध्यम से या ट्रेंचिंग या एफएसटीपी की स्थापना के माध्यम से।
देश में खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) प्लस गांवों की राज्य/केंद्र शासित प्रदेश-वार संख्या संलग्नक-1 में दी गई है। एसबीएम (जी) चरण-II के अंतर्गत निर्मित विभिन्न एसएलडब्ल्यूएम परिसंपत्तियों का राज्य/केंद्र शासित प्रदेश-वार ब्यौरा संलग्नक-II में दिया गया है।
एसबीएम (जी) के अंतर्गत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को सभी घटकों के लिए समेकित रूप से धनराशि जारी की जाती हैं। एसबीएम (जी) चरण-II के अंतर्गत धनराशि का आवंटन और जारी का राज्य/केंद्र शासित प्रदेश-वार ब्यौरा संलग्नक-III में दिया गया है।
यह जानकारी जल शक्ति राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।