शिमला। न्यूज व्यूज पोस्ट।
प्रदेश के किसानों के लिए प्राकृतिक खेती से उगाई गई हल्दी अब किसानों की आर्थिकी को मजबूती देगी। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने सोमवार को हल्दी खरीद के लिए पंजीकरण प्रपत्र जारी करते हुए ऐलान किया कि राज्य सरकार किसानों से हल्दी 90 रुपये प्रति किलो के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदेगी।
खास बात यह है कि पहली बार प्रदेश सरकार सीधे किसानों से कच्ची हल्दी खरीदेगी और उसे हमीरपुर स्थित स्पाइस पार्क में प्रोसेस कर ‘हिमाचल हल्दी’ के नाम से बाजार में बेचा जाएगा। इससे न केवल किसानों को बेहतर दाम मिलेंगे, बल्कि प्रदेश की हल्दी को अंतरराष्ट्रीय बाजार में अलग पहचान भी मिलेगी।
हल्दी किसानों के लिए क्यों है फायदेमंद?
- जंगली जानवर हल्दी की फसल को नुकसान नहीं पहुंचाते।
- खेती में कम मेहनत और देखरेख की जरूरत।
- फसल कटाई के बाद स्टोर करने की लंबी क्षमता।
- कोरोना काल के बाद घरेलू और विदेशी बाजारों में हल्दी की मांग बढ़ी।
किन जिलों में सबसे ज्यादा हल्दी उत्पादन?
हमीरपुर, कांगड़ा, बिलासपुर, सिरमौर, मंडी और सोलन जिले हल्दी उत्पादन में सबसे आगे हैं। वर्तमान में प्रदेश में 2,042.5 हेक्टेयर भूमि पर हल्दी की खेती हो रही है, जिससे हर साल करीब 25 हजार मीट्रिक टन हल्दी पैदा होती है।
गेहूं, मक्की और दूध की भी MSP पर खरीद
सरकार गेहूं को 60 रुपये प्रति किलो और मक्की को 40 रुपये प्रति किलो MSP पर खरीद रही है। वहीं, दूध का भी समर्थन मूल्य बढ़ाकर गाय के दूध के लिए 51 रुपये और भैंस के दूध के लिए 61 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है।
सीधा लाभ किसानों को
यह योजना प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी। पंजीकरण करने वाले किसानों को कृषि विभाग द्वारा प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।