शिमला। न्यूज़ व्यूज पोस्ट–हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ ने कार्मिक विभाग द्वारा जारी आदेशो का विरोध करते हुए कहा कि आठ अगस्त को मंडी के कन्सा चौक में मुख्यमंत्री ने प्रदेश के जेबीटी औऱ सी एंड वी अध्यापको के लिए हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ के मंच से अंतर जिला स्थानांतरण नीति की घोषणा की थी। जिससे प्रदेश के 40 हजार शिक्षको को जो अपने जिला से दूसरे जिला में सेवाएं दे रहे थे। उन्हें अपने जिलो में वापिस आने का मौका मिलना था । इस फैसले से प्रदेश के शिक्षको में खुशी की लहर थी। हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ के प्रान्त अध्यक्ष पवन कुमार, महामंत्री डॉ मामराज पुंडीर ,संगठन मंत्री विनोद सूद, वरिष्ठ उपाध्यक्ष जय शंकर ठाकुर, मीडिया प्रभारी शशि शर्मा तथा प्रान्त व जिले के सभी अध्यक्ष व कार्यकारिणी ने कहा कि हैरानी की बात है कि जब पोलिसी बनी तो तत्कालीन शिक्षा सचिव ने इसको कार्मिक विभाग को क्यो नही भेजी। आपकी इस गलती से आज हमारे शिक्षक 4 साल होने को हो गए, परन्तु नियमित नही हो पाए। प्रान्त महामंत्री डॉ मामराज पुंडीर ने कहा कि 29 जनवरी को यह विषय मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री, शिक्षा निदेशक के ध्यान में लाया था। कई बार इस विषय को लेकर मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री, मुख्यसचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव,प्रधान शिक्षा सचिव से मिल चुके हैं। यह विषय दो बार कैबिनेट में लाया गया है। परन्तु कार्मिक विभाग का रवैया कर्मचारियों के हित मे नही दिख रहा। डॉ मामराज पुंडीर ने कहा कि 3 अप्रैल को मुख्यमंत्री के ध्यान में इस नीति को लाये थे ओर 7 तारीख की कैबिनेट में यह नीति लाई गई। हैरानी की बात है कि इस मे सहमति बनी थी कि इनको नियमित कर दिया जाएगा, ओर इनको वरिष्ठता खोनी पड़ेगी। 13 अप्रैल को कार्मिक विभाग ने आदेश जारी कर उसमे ट्रांसफर हुए जिलो से शिक्षको को फ्रेश माना जायेगा , जिससे शिक्षको में रोष है। उन्होंने कहा शिक्षक 3 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं और हिमाचल सरकार की नीति के अनुसार 2 वर्षो के बाद नियमित होने होते है। इनसे एक वर्ष बाद वाले नियमित हो गए। डॉ मामराज पुंडीर ने कहा कि जब कार्मिक विभाग ने नीति में संशोधन नही करना था तो इसको केबिनेट में क्यो ले गए। कैबिनेट के दिन हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ ने शिक्षामंत्री, मुख्यसचिव, अतिरिक्त मुख्यसचिव, प्रधान शिक्षा सचिव से मुलाकात कर अपना रोष दर्ज करवा दिया है।