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हिमाचल का सेब उत्पादक संकट के दौर से गुजर रहा

रामपुर बुशहर। विशेषर नेगी।

सेब उत्पादक संघ का राज्य स्तरीय सम्मेलन हुआ रामपुर के समीप किसान मजबूर भवन चाटी में। दो दिवसीय सम्मेलन में सेब उत्पादकों की विभिन्न समस्याओं पर हुई चर्चा । सेब उत्पादकों ने लगाया आरोप किसानों की सब्सिडी बंद कर बड़े उद्योगपतियों को कोल्ड स्टोरज लगाने के लिए दी जा रही है मोटी सब्सिडी। बागवानों एमआईएस का पिछला 91 करोड़ का भुगतान भी नही किया है अब तक सरकार ने। सेब पैकेजिंग कार्टन निर्धारण के लिए अधिकृत संस्था इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पैकेजिंग के मापदंड ही होंगे बागवानो को मान्य । सेब उत्पादकों की भावी रणनीति बनेगी 18 और 19 जनवरी को होने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन में ।

सेब उत्पादक संघ संबंधित किसान सभा का राज्य स्तरीय सम्मेलन रामपुर के समीप चाटी के किसान मजदूर भवन में हुआ। सम्मेलन के दौरान कई राज्य व राष्ट्रीय स्तर के किसान नेता उपस्थित हुए। इस दौरान सेब उत्पादकों की विभिन्न समस्याओं पर विस्तार से चर्चा हुई और भविष्य में इस पर क्या कदम उठाए जाने चाहिए रणनीति बनी। सम्मेलन में सेब उत्पादक संघ की राज्य स्तरीय नई टीम का भी गठन किया गया। सम्मेलन में बताया कि आज सेब उत्पादन घाटे का सौदा बनता जा रहा है। हिमाचल का सेब उत्पादक दुनिया का बेस्ट सेब उत्पादन करता है, लेकिन आज भी एपीएमसी एक्ट को ईमानदारी से लागू न करने कारण बागवान की मंडी में लूट होती है। और बोलबाला आढ़ती का होता है। सम्मेलन में चर्चा के दौरान किसानों ने बताया कि एमआईएस का पिछला बकाया करीब 91 करोड रुपए सरकार ने अभी तक बागवानों को नहीं दिया है। सरकार द्वारा किसानों को जो कृषि एवं बागवानी उपकरण मुहैया करवाए जाते हैं वह महंगे वह घटिया किस्म के होते हैं। किसानों की सब्सिडी बंद कर दी गई है और सेब कारोबार में आए बड़े उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने की नियत से कोल्ड स्टोरेज खोलने के लिए उन्हें मोटी सब्सिडी दी जा रही है। इस तरह से किसान आज संकट के दौर से गुजर रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार ने सेब किलो के हिसाब से बचने की बात कही थी ,लेकिन वह धरातल पर सही नही उतरा। पैकेजिंग कॉटन 20 किलो की कौन तय करेगा इसे लेकर भी सरकार दोहरे मापदंड अपना रही है। देश के अंदर सिर्फ एक संस्था को यह मापदंड तय करने का अधिकार है वह है इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पैकेजिंग , लेकिन आईआईटी मंडी को यह काम सरकार दे रही है। इसमें भी संशय बना है।

पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने बताया कि सेब उत्पादक संघ का यह पहला राज्य स्तरीय सम्मेलन हुआ है। इसके बाद 18 व 19 जनवरी को राष्ट्रीय स्तर का सम्मेलन होगा। जिसमें सेब उत्पादकों की समस्याओं एवं अन्य विषयों पर चर्चा होगी एवं रणनीति बनेगी । उन्होंने बताया कि आज हिमाचल का सेब उत्पादक संकट के दौर से गुजर रहा है। मंडी में आढ़तियों का बोलबाला है । सेब पैकेजिंग मापदंड भी इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पैकेजिंग के माध्यम से तय किए जाने चाहिए । लेकिन सरकार आईआईटी मंडी को यह जिम्मा दे रही है।

सोहन ठाकुर किसान सभा राज्य अध्यक्ष ने बताया कि सेब उत्पादकों का 2 दिन से सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इस में विस्तार से चर्चा हुई। उन्होंने कहा सेब उत्पादन घाटे का सौदा बनता जा रहा है। सरकार की नीतियां बागवान विरोधी है । बागवानों को दवाइयों एवं खाद पर दी जाने वाली सब्सिडी बंद कर दी है और बड़े उद्योगपतियों को कोल्ड स्टोरेज लगाने के लिए मोटी सब्सिडी दी जा रही है।

पूर्ण ठाकुर हिमाचल सेब उत्पादक संघ के सचिव ने बताया कि किसान मजदूर भवन चाटी में दो दिवसीय जो सम्मेलन हुआ है , इसमें 18 ब्लॉकों के डेलिगेट्स ने अपने क्षेत्र की समस्याओं को रखा। उन्होंने बताया पिछले वर्ष का सरकार ने मिस के 91 करोड रुपए बागवानों को अब तक नहीं दिए हैं। एपीएमसी एक्ट में लचरता के कारण बागवानों को नुकसान व आढ़तियों को लाभ हो रहा है।

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