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सुरक्षित स्कूल, जागरूक समाज: किन्नौर में DDMA और NDRF की संयुक्त मुहिम

किन्नौर | 19 अप्रैल, न्यूज व्यूज पोस्ट,

“एकजुट हों, अग्नि सुरक्षित भारत को प्रज्वलित करें”—इस सशक्त संदेश के साथ किन्नौर जिला में नेशनल फायर सर्विस वीक (14 से 20 अप्रैल) के दौरान जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) ने NDRF, हिमाचल फायर सर्विस, होमगार्ड्स और हिमाचल पुलिस के सहयोग से एक अनोखी और व्यापक स्कूल एवं सामुदायिक सुरक्षा जागरूकता अभियान की शुरुआत की।

किन्नौर जैसे संवेदनशील भूकंपीय क्षेत्र में, जहाँ आपदाएं कभी भी दस्तक दे सकती हैं, वहां बच्चों, शिक्षकों और आम नागरिकों को आपदा से निपटने की जानकारी देना समय की सबसे बड़ी मांग बन चुकी है। इसी सोच के साथ, Jindal Vidya Mandir सहित कई स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए।

कार्यक्रम में छात्रों को भूकंप के दौरान बचाव के तरीके, फर्स्ट एड (CPR, ब्लीडिंग कंट्रोल, डूबने पर क्या करें, चोकिंग, स्ट्रेचर बनाना) और फायर फाइटिंग डेमो के माध्यम से शिक्षित किया गया। साथ ही, इवैक्यूएशन ड्रिल के जरिए वास्तविक आपदा जैसी स्थिति में कैसे सुरक्षित निकला जाए, इसकी प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दी गई।

JSW के सेफ्टी हेड नितिन गुप्ता ने अपने संदेश में फायर सेफ्टी को नज़रअंदाज न करने की बात कही और बताया कि गर्मी के मौसम में जंगलों और रिहायशी इलाकों में आग लगने का खतरा ज्यादा होता है। उन्होंने आग से लड़ने वाले वीर जवानों को सलाम करते हुए कहा—”इनकी बहादुरी हमें सुरक्षा की अहमियत सिखाती है।”

इस मौके पर NDRF ने एक मॉक ड्रिल के जरिए भूकंप, आग और फ्लैश फ्लड की काल्पनिक स्थिति बनाई। अत्याधुनिक उपकरणों, रेस्क्यू डॉग्स और रोप तकनीकों के जरिए फंसे लोगों को रेस्क्यू किया गया। यह प्रदर्शन 1,000 से ज्यादा छात्रों, शिक्षकों और ग्रामीणों ने देखा और सराहा।

वहीं, Wangtoo पावर हाउस (Karcham Wangtoo Hydel Project) में भी फायर मॉक ड्रिल की गई ताकि आपात स्थिति में तैयारी की जांच हो सके। इसमें NDRF के इंस्पेक्टर नीरज भारती, फायर स्टेशन रेकॉन्गपिओ के सुंदर लाल, भाबानगर पोस्ट के मोहिंदर नेगी और सांगला पोस्ट के अनिल कुमार की टीमों ने भाग लिया। आसपास के गाँवों, स्कूलों और पावर प्लांट्स में भी जागरूकता अभियान चलाया गया।

NDRF की ‘आपदा सेवा सदाiv’ की भावना को जीवंत करते हुए यह कार्यक्रम न सिर्फ छात्रों बल्कि पूरे समाज को आपदा से निपटने के लिए तैयार कर गया।

किन्नौर जैसे दुर्गम जिले में इस तरह की योजनाबद्ध जागरूकता मुहिम अपने आप में मिसाल है। इससे न केवल जान-माल की हानि रोकी जा सकती है, बल्कि नई पीढ़ी को ज़िम्मेदार और जागरूक नागरिक भी बनाया जा सकता है।


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