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सीटू ने मनाया मई दिवस, मोदी सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ 20 मई की हड़ताल का आह्वान

रामपुर , न्यूज व्यूज पोस्ट।

सीटू और सम्बंधित यूनियनों ने मई दिवस पर झाकड़ी, दत्तनगर, बिथल, नीरथ व चाटी में कार्यक्रम कर मोदी सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों की आलोचना की और 20 मई को देशव्यापी हड़ताल को सफल बनाने का संकल्प लिया।


सीटू ने विभिन्न स्थानों पर मनाया मई दिवस

सीटू से सम्बंधित सभी यूनियनों ने झाकड़ी, दत्तनगर, बिथल, नीरथ और किसान मजदूर भवन चाटी में मई दिवस कार्यक्रम आयोजित किए। मजदूरों ने एकजुट होकर मोदी सरकार की मजदूर, किसान और जनविरोधी नीतियों के खिलाफ 20 मई की राष्ट्रव्यापी हड़ताल को सफल बनाने का आह्वान किया।


मजदूरों ने दी शहीदों को श्रद्धांजलि

सीटू जिलाध्यक्ष कुलदीप सिंह, सचिव अमित, मिलाप नेगी, दयाल भाटनू, रणजीत, नीलदत्त, गुरदास, दिनेश मेहता समेत अन्य नेताओं ने शिकागो के शहीद मजदूरों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि 1 मई मजदूरों के संघर्ष और बलिदान का प्रतीक है, जिसे दुनिया भर में मनाया जाता है।


आठ घंटे कार्य दिवस की लड़ाई का इतिहास

नेताओं ने 1886 के शिकागो मजदूर आंदोलन का उल्लेख करते हुए बताया कि किस प्रकार अमेरिका में 16-16 घंटे काम कराने के खिलाफ मजदूर सड़कों पर उतरे थे। 3 मई को पुलिस गोलीबारी में मजदूरों की शहादत के बाद, 4 मई को हे मार्केट चौक पर हुए बम विस्फोट और पुलिस की फायरिंग में कई मजदूर मारे गए थे। उसी संघर्ष की याद में 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है।


मोदी सरकार की श्रम नीतियों पर तीखा हमला

नेताओं ने कहा कि मोदीनीत एनडीए सरकार लगातार मजदूरों के अधिकारों को खत्म करने वाली नीतियाँ लागू कर रही है। सीटू 26,000 रुपये मासिक न्यूनतम वेतन की मांग कर रही है, जबकि सरकार द्वारा घोषित ‘फ्लोर वेज’ मात्र 178 रुपये है।

उन्होंने बताया कि नए लेबर कोड मजदूरों के अधिकारों को खत्म करने की कोशिश हैं, जिन्हें व्यापक एकजुटता से ही रोका जा सकता है।


बढ़ती असमानता और कॉरपोरेट फेवरिज्म का आरोप

सीटू नेताओं ने आरोप लगाया कि पिछले 11 वर्षों में सरकार ने कॉरपोरेट सेक्टर का 15 लाख करोड़ रुपये कर्ज माफ किया, जबकि किसानों की बकाया राशि का एक हिस्सा भी माफ नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि देश की संपत्तियां कुछ गिने-चुने उद्योगपतियों के हाथों में सौंपी जा रही हैं।


साम्प्रदायिकता और लोकतंत्र पर हमला

नेताओं ने कहा कि आरएसएस के एजेंडे के तहत समाज को धर्म, जाति और भाषा के आधार पर बाँटने का प्रयास हो रहा है। यह संविधान और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर सीधा हमला है, जिससे मजदूरों की एकता कमजोर की जा रही है।


20 मई की हड़ताल को सफल बनाने का संकल्प

सीटू नेताओं ने कहा कि 20 मई की हड़ताल सिर्फ मजदूरों के हक के लिए नहीं बल्कि देश में बढ़ती बेरोजगारी, गरीबी, असमानता और लोकतंत्र पर हो रहे हमलों के खिलाफ भी है। उन्होंने देश के तमाम मजदूर संगठनों और जनता से इस संघर्ष में शामिल होने की अपील की।


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