शिमला (न्यूज व्यूज पोस्ट)। हिमाचल की राजधानी शिमला में फोरलेन निर्माण को लेकर मचा विवाद अब गहराता जा रहा है। भट्टाकुफर की माठू कॉलोनी में पांच मंजिला इमारत के गिरने के बाद उठे सियासी और प्रशासनिक तूफान ने अब कानूनी जटिलता का रूप ले लिया है। एक ओर जहां ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह पर एनएचएआई अधिकारियों से मारपीट का मामला दर्ज हुआ है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों ने एनएचएआई के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाकर क्रॉस एफआईआर दर्ज करवा दी है। नतीजतन, यह प्रकरण अब “जनता बनाम एनएचएआई” और “प्रशासन बनाम मंत्री” के बीच उलझता जा रहा है।
स्थानीयों का फूटा गुस्सा, दो एफआईआर दर्ज
ढली थाना पुलिस में स्थानीय निवासियों की शिकायत पर एनएचएआई के प्रबंधक अचल जिंदल और इंजीनियर योगेश के खिलाफ दो अलग-अलग प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि 30 जून को इन अधिकारियों ने न केवल लोगों का रास्ता रोका, बल्कि उनके साथ दुर्व्यवहार और गाली-गलौच की। आरोपियों की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए स्थानीयों ने कहा कि निर्माण कार्य के चलते कॉलोनी में एक मकान ढह गया है और बाकी घर खतरे में हैं।
कॉलोनीवासियों को छोड़ना पड़ा घर
शिकायतकर्ता बृज लाल, निशांत, चंदा देवी, रीना रपटा, चेतन चौहान समेत कई अन्य लोगों ने आरोप लगाया कि लगातार अनुरोध के बावजूद निर्माण स्थल पर कटाव रोकने का कार्य नहीं रोका गया। नतीजतन, रंजना वर्मा समेत कई परिवारों को अपने घर खाली करने पड़े, लेकिन कोई वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध नहीं करवाई गई।
अधिकारियों ने भी दर्ज करवाया मामला
इससे पहले अचल जिंदल ने मंत्री अनिरुद्ध सिंह पर आरोप लगाया कि इमारत गिरने की घटना के बाद जब वह मौके पर पहुंचे, तो उन्हें एक कमरे में ले जाकर पीटा गया। खून से लथपथ अधिकारी किसी तरह जान बचाकर खुद गाड़ी चलाकर IGMC पहुंचे और उपचार करवाया। यह मामला भी ढली थाना में दर्ज किया गया है।
मंत्री ने आरोपों को किया खारिज
वहीं, मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने सभी आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि वे मौके पर प्रशासनिक जिम्मेदारी निभाने पहुंचे थे, न कि किसी से भिड़ने। उन्होंने एनएचएआई पर लापरवाही का आरोप लगाया और कहा कि निर्माण कार्यों में मानकों की अवहेलना की जा रही है, जिससे आमजन की जान खतरे में आ गई है।
पुलिस ने शुरू की गहन जांच, मामला पेचीदा
अब जब दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज करवा दी है, तो मामला पूरी तरह क्रॉस केस में तब्दील हो गया है। पुलिस ने सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच शुरू कर दी है।
विश्लेषण:
यह मामला अब केवल फोरलेन निर्माण की लापरवाही तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसमें जन असंतोष, राजनीतिक तनाव और प्रशासनिक जवाबदेही का संकट भी जुड़ चुका है। जिस तरीके से दोनों पक्ष एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं, उससे स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में यह विवाद और गहराने वाला है।
“शिमला की माठू कॉलोनी आज विकास की कीमत चुका रही है – जहां इमारतें गिर रही हैं और विश्वास भी।”