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”विरासती आनुवंशिक विकार “का निदान ढूँढती निगाहों का गवाह बना इंडिया गेट


– दिल्ली। चन्द्रकान्त पाराशर,।

“फ्रिजाइल एक्स सिंड्रोम से ग्रसित बच्चों के लिए प्रत्येक स्तर पर नैदानिक व्यवस्था अवश्य होनी चाहिये“-यह उदगार इंडिया गेट की परिधि में आयोजित विश्व फ्रिजाइल एक्स जागरूकता समारोह के अध्यक्ष अर्जुन मुण्डा केंद्रीय मंत्री(जन जातीय मामले ) ने किया । उन्होंने फ्रिजाइल एक्स सोसाइटी द्वारा पूरे भारत वर्ष में किए जा रहे कार्यों की सराहना की । इस अवसर पर डॉ. राहुल सिसोदिया एमडी आयुर्वेद (संस्थापक,अटिस आयुर्वेद, गुड़गांव), राहुल अदलखा ( सदस्य उत्तर रेलवे) और डा० वी सी रॉय अवार्ड-अलंकृत डॉ. अनुपम सचदेवा निदेशक,श्री गंगा राम अस्पताल दिल्ली ; शालिनी केडिया संस्थापक अध्यक्ष फ्रिजाइल एक्स सोसाइटी इंडिया; प्रियंका झा राठौर ; नम्रता चन्द्रकान्त पाराशर शिमला व किशिका मौजूद थे।
इस अवसर पर विशेष रूप से ऐश्वर्या शर्मा, फैशन और जलवायु कार्यकर्ता व प्रतिष्ठित संयुक्त राष्ट्र भारत समन्वयक; और अक्षय त्यागी, ललित सूरी हॉस्पिटैलिटी ग्रुप के प्रमुख और केशव सूरी फाउंडेशन के संस्थापक सदस्य, भी उपस्थित थे । इस दौरान बताया गया

भारत में, लगभग 4,00,000 व्यक्ति Fragile X Syndrome से प्रभावित हैं। इस आंदोलन के माध्यम से, दुनिया भर में जागरूकता फैलाने का प्रयास बहुत ही सराहनीय है ।इससे फ्रिजाइल एक्स सिंड्रोम वाले प्रत्येक व्यक्ति विशेष को शीघ्र चिकित्सकीय निदान और उपचार मिलने में आसानी होगी ।
दरअसल फ्रिजाइल एक्स सिंड्रोम या (एफएक्सएस) एक आनुवंशिक स्थिति है जो ऑटिज्म और बौद्धिक अक्षमता के रूप में शिशु को विरासत में मिलती है ।यह महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक गंभीर रूप से प्रभावित करता है। इसे मार्टिन-बेल सिंड्रोम या एस्कैलेंट सिंड्रोम भी कहा जाता है
रोग-ग्रसित महिलाएं बिना किसी कठिनाई के पढ़-लिख सकती हैं और निर्देशों का पालन भी कर सकती हैं। महिलाओं में मुश्किलें कम होती हैं जैसे इन्हें ज़्यादातर मात्र गणितीय-आकलन करने व सामाजिक-स्किल(आपसी मेल-जोल)में ; लेकिन पुरुषों को बहुत अधिक मुश्किलें होती है ..उनका संपूर्ण विकास ही अवरुद्ध सा हो जाता है जैसे -चलना,उठना,बैठना, दौड़ना, पढ़ाई करना आदि प्रत्येक गतिविधि करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
जहां एक ओर मां में एफएमआर1 जीन के परिवर्तन के कारण उनके बच्चों में एफएक्सएस का खतरा 50 फीसदी तक बढ़ जाता है।
वहीं अगर इस जीन में परिवर्तन की समस्या पिता में है तो एफएक्सएस का खतरा सिर्फ बेटियों को होता है। इसके अलावा लड़कियों की तुलना में लड़कों को एफएक्सएस होने का खतरा अधिक होता है।
विशेषज्ञों का मत है कि इसके पीछे का कारण लड़कियों में दो एक्स गुणसूत्रों का होना होता है।
यही कारण है यदि उनके एक एक्स गुणसूत्र में जीन परिवर्तन होता है फिर भी दूसरा एक्स गुणसूत्र सुरक्षित रहता है।
इससे पूर्व कार्यक्रम के प्रारंभिक सत्र में फ्रैजाइल एक्स सोसाइटी इंडिया की संस्थापक अध्यक्ष  शालिनी एन. केडिया द्वारा सभी /अतिथियों का परिचय कराया गया ।एक सम्मान समारोह में आगंतुक-विशिष्ट व्यक्तियों को अंग-वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया ।इसके बाद फ्रैजाइल एक्स सिंड्रोम वाले बच्चों के माता-पिता ने अपने अनुभव और अपनी यात्राएं साझा कीं।
इस कार्यक्रम में फ्रैगाइल एक्स सिंड्रोम प्रभावित बच्चे और उनके परिवारो ने भी भाग लिया।
अपने लक्ष्यों को स्पष्ट करते हुए फ्रिजाइल एक्स सोसाइटी की चेयरपर्सन शालिनी केडिया ने बताया कि “हम हर उस परिवार के लिए यूजर गाइड हैं जो हमसे संपर्क करता है। उन्हें स्थिति की गहरी समझ और आगे बढ़ने का रास्ता चाहिए। हम उनके साथ कदम दर कदम चलते हैं।”


फ्रिजाइल एक्स सिंड्रोम एक आनुवंशिक विकार है जो बच्चों में ऑटिज्म और बौद्धिक अशक्तता यानी एक मानसिक रोग की वजह बनती है. ये जीन में बदलाव के कारण होने वाली बच्चों में मानसिक खराबी है।इस बीमारी के प्रति समाज में जागरूकता की बहुत कमी है ।समाज व आम जन की भागीदारी को सुनिश्चित कर उसे जागरूक करने की दिशा में निरंतर प्रयासरत
“परोपकाराय फलन्ति वृक्षाः, परोपकाराय वहन्ति नद्यः।परोपकाराय दुहन्ति गावः, परोपकारार्थमिदं शरीरम ॥“ उक्ति को चरितार्थ करती है।
उल्लेखनीय है कि प्रत्येक वर्ष 22जुलाई को “ विश्व फ्रिजाइल एक्स सिंड्रोम जागरूकता दिवस” के रूप में संस्था आयोजित करती है ।इसके समर्थन में दुनिया भर में लगभग 300 स्मारकों और स्थलों पर रोशनी की जाती है।


वैश्विक जागरूकता की दिशा में भारत इस आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा शुरू से ही रहा है, लेकिन 2019 के बाद से सक्रिय रूप से भवनों/संरचनाओं पर “रोशनी-मिशन”में उस समय शामिल हो गया, जब मुंबई में ताजमहल टॉवर इस मिशन का समर्थन करने के लिए चैती हरे रंग में खड़ा था। 2021 में भारत में 22 संरचनाओं को रोशन करने के साथ ही रोशनी-जागरूकता में तेजी से वृद्धि हुई।

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