रामपुर, 8 जुलाई | विशेषर नेगी,
वन क्षेत्रों में रहने वाले परंपरागत वनवासियों को उनका कानूनी अधिकार दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए आज रामपुर के राजकीय महाविद्यालय सभागार में वन अधिकार अधिनियम 2006 पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला की अध्यक्षता प्रदेश के राजस्व, बागवानी, जनजातीय विकास एवं जन शिकायत मंत्री श्री जगत सिंह नेगी ने की। कार्यक्रम में रामपुर विकासखंड की 37 पंचायतों और वन अधिकार समितियों के प्रधानों व सचिवों ने भाग लिया।
मंत्री नेगी ने इस मौके पर न केवल अधिनियम की विस्तृत जानकारी दी, बल्कि उपस्थित प्रतिनिधियों से सीधा संवाद भी किया। उन्होंने कहा कि जो समुदाय 13 दिसंबर 2005 से पहले से कम से कम तीन पीढ़ियों से वन भूमि पर निवास कर रहा है और अपनी आजीविका के लिए वन संसाधनों पर निर्भर है, उन्हें इस कानून के तहत मालिकाना हक मिलने का प्रावधान है।
“यह कानून केवल अधिकार नहीं, जिम्मेदारी भी देता है — सामुदायिक संसाधनों की सुरक्षा और प्रबंधन अब ग्रामसभा की सहभागिता से तय होंगे,” उन्होंने कहा।
राजस्व मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी परियोजना में वन भूमि के उपयोग से पहले वन अधिकार अधिनियम के तहत अधिकारों की मान्यता आवश्यक है। उन्होंने समिति गठन की प्रक्रिया, ग्रामसभा में 50% कोरम, दस सदस्यों की न्यूनतम संख्या और एक-तिहाई महिला भागीदारी जैसे बिंदुओं को विस्तार से समझाया।
इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष और स्थानीय विधायक श्री नंद लाल ने भी पंचायत प्रतिनिधियों को संबोधित किया। उन्होंने आवेदन प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध रखने की अपील की, ताकि पात्र परिवारों को समय पर लाभ मिल सके।
कार्यशाला में एसडीएम रामपुर हर्ष अमरेन्द्र सिंह, डीएसपी नरेश शर्मा, बीडीओ राजेन्द्र नेगी, तहसीलदार परीक्षित कुमार, वन मंडलाधिकारी गुरहर्ष, इंटक प्रदेश उपाध्यक्ष बिहारी सेवगी सहित अनेक प्रशासनिक व सामाजिक प्रतिनिधि मौजूद रहे।
कार्यक्रम के उपरांत मंत्री श्री नेगी ने स्वर्गीय मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की और जनजातीय बालक छात्रावास का निरीक्षण कर मूलभूत सुविधाओं की समीक्षा की। साथ ही लोगों की समस्याएं भी मौके पर सुनीं और उनके शीघ्र समाधान का भरोसा दिलाया।