आनी/ न्यूज़ व्यूज पोस्ट —:-महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जन्म जयंती पर केरल राज्य के परम भट्टारा केंद्रीय विद्यालयम् वडयंपाड़ी एर्नाकुलम तथा हिमाचल प्रदेश से राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला आनी तथा आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला आनी के प्रतिभागियों ने अपनी समृद्ध कला संस्कृति और भाषायी गर्व पर मनमोहक कार्यक्रम प्रस्तुत किए।
इस अवसर पर दोनों राज्यों के शिक्षकों और छात्रों ने पारंपरिक परिधान पहनकर अपनी राष्ट्रभाषा और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से समृद्ध राष्ट्रीय धरोहर तथा एकता का संदेश देखकर राष्ट्रभाषा के गौरव को सम्मान के पद स्थापित करने का शुभ संदेश दिया। केरल और हिमाचल के 5 विद्यालयों के छात्र- छात्राओं ने लोक नृत्य.लोकगीत तथा विष्णु स्तवन जैसे कार्यक्रम प्रस्तुत कर अपनी -अपनी कला संस्कृति तथा भाषा को स्थापित करने का संकल्प दोहराया। हिमाचल प्रदेश से कार्यक्रम में राजकीय आदर्श विद्यालय आनी के छात्रों द्वारा बाल विकास में संयुक्त परिवार की भूमिका स्थानीय लोक गीतों पर आधारित लोक नृत्य.कन्या विद्यालय की बारहवीं कक्षा की छात्रा येश्वरी ने “पल भर बई लेणा” तथा दसवीं कक्षा की छात्रा सुहानी ने “हिमाचला री शान” गीत गाकर गूगल प्लेटफार्म पर शानदार प्रस्तुति दी।
इस कार्यक्रम में राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला आनी के प्रधानाचार्य एवं अध्यक्ष शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास रामपुर विभाग अमर चौहान तथा हिमाचल प्रांत के अध्यक्ष प्रोफेसर पवन शर्मा ने अपने शुभ संदेश दिए।
कार्यक्रम का संचालन केरल के परम भट्टारा केंद्रीय विद्यालयम् की हिंदी विभागाध्यक्ष शुभा और हिमाचल प्रांत की ओर से राजकीय कन्या विद्यालय आनी के प्राध्यापक श्यामानन्द ने मध्यस्थता की। कार्यक्रम की अध्यक्षता परम भट्टारा केंद्रीय विद्यालयम् के प्राचार्य मनोज मोहन ने की। कार्यक्रम में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास हिमाचल प्रदेश के संयोजक प्रो. दिनेश लखनपाल. केरल राज्य के चरित्र निर्माण तथा व्यक्तित्व विकास संयोजक प्रधानाचार्य राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला नारकंडा डॉक्टर हिमेन्द्र बाली. कन्या विद्यालय आनी के प्रवक्ता इतिहास डॉ. विनोद आचार्य. विज्ञान शिक्षक तिलका शर्मा.
केरल और हिमाचल प्रांत के विद्यालयों के शिक्षक छात्र-छात्राएं तथा अभिभावक अपने-अपने प्रदेश की स्थानीय वेशभूषा में उपस्थित रहे। कार्यक्रम अध्यक्ष प्राचार्य मनोज मोहन ने अपने शुभकामना संदेश में कहा कि इस तरह के कार्यक्रम सांस्कृतिक आदान-प्रदान तथा शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र उत्थान में उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं