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मणिपुर हिंसा पर तत्काल रोक लगाने की वाम संगठनों ने उठाई मांग

रामपुर बुशहर। विशेषण नेगी।

सीटू, हिमाचल किसान सभा व एसएफआई ने मणिपुर हिंसा को लेकर रामपुर चौधरी अड्डे मे धरना प्रदर्शन किया। जनवादी जनसंगठनों ने मणिपुर हिंसा पर तत्काल रोक लगाने और मणिपुर के मुख्यमत्री बिरेन सिंह, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अक्षम, भेदभाव व पक्षपात पूर्ण कार्यप्रणाली के कारण उन्हें तत्काल अपने पदों से हटाने की माँग को लेकर उपमण्डल अधिकारी के माधयम से राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंफा।

धरना प्रदर्शन को संबोधित करते हुए सीटू ज़िला अध्यक्ष कुलदीप डोगरा, अमित, योगराज ने कहा कि पिछले 86 दिनों से मणिपुर में बेलगाम हिंसा जारी है। इस हिंसा में सैंकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। हिंसा में 70 हजार लोग प्रभावित होकर बेघर हुए हैं। ये सभी लोग राहत शिविरों में गुजर बसर करने को मजबूर हैं। भाजपा की प्रदेश सरकार व मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह की संवेदनहीन व पक्षपातपूर्ण कार्यप्रणाली के कारण स्थिति दिनोंदिन भयावह होती जा रही है।

मणिपुर में महिलाओं, बच्चियों व लड़कियों के यौन शोषण व बलात्कार की घटनाएं आम हो गयी हैं। गत दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हुई दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके उनके सामूहिक बलात्कार की 4 मई 2023 की घटना ने देश व सभ्य समाज के रौंगटे खड़े कर दिए हैं। किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह बेहद लज्जाजनक घटना है। रिपोर्टों के अनुसार, उनके गांव पर 600 से 800 लोगों की भीड़ ने एके 47 राइफल सहित अत्याधुनिक हथियारों से हमला किया और जला दिया। खबरों के मुताबिक दो महिलाओं समेत पांच लोग पास के जंगल में भाग गए और पुलिस ने उन्हें बचा लिया। जैसे ही उन्हें पुलिस स्टेशन ले जाया जा रहा था, भीड़ ने पुलिस को रोक दिया और सभी पांचों को पुलिस हिरासत से पकड़ लिया। छोटी महिला के पिता की मौके पर ही मौत हो गई और भीड़ ने दोनों महिलाओं को निर्वस्त्र कर दिया. एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और उसे बचाने की कोशिश करने वाले उसके भाई की हत्या कर दी गई। इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वालों ने दोनों महिलाओं को नग्न कर घुमाया। बाद में महिलाएं भागकर राहत शिविर में पहुंचीं। 18 मई को उन्होंने शिकायत दर्ज कराई और एफआईआर दर्ज कराई, लेकिन उसके बाद से कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि मणिपुर 3 मई, 2023 से जातीय हिंसा की चपेट में है, जिसके कारण सैंकड़ों लोगों की मौत हो गई, घर, धार्मिक स्थल और आजीविका नष्ट हो गई। इस स्थिति के लिए भाजपा-आरएसएस की विभाजनकारी नीति जिम्मेदार है। भाजपा शासित राज्य और केंद्र सरकार राज्य में सामान्य स्थिति वापस लाने में पूरी तरह विफल रही है। बताया गया है कि राज्य, पड़ोसी राज्यों के साथ-साथ म्यांमार में शरणार्थी शिविरों में एक लाख से अधिक लोग अमानवीय परिस्थितियों में रह रहे हैं। हिंसा के 26 दिन बाद ही गृह मंत्री ने राज्य का दौरा किया। संकट को हल करने के लिए ईमानदारी से प्रयास करने के बजाय, वे उन आवाज़ों को दबाने की कोशिश कर रहे हैं जो उनकी विफलता पर सवाल उठा रही हैं।

प्रदेश की भाजपा सरकार इस तरह की घटनाओं को लगातार छिपाने की कोशिश करती रही है व दोषियों को मूक समर्थन देती रही है। सरकार की अक्षमता व भेदभावपूर्ण कार्यप्रणाली के कारण मणिपुर में स्थिति लगातार बिगड़ रही है।

आश्चर्यजनक बात है कि इस तरह की हिंसा व बलात्कार की घटनाओं पर देश के प्रधानमंत्री तीन महीने तक मौन रहे। जब दो महिलाओं के बलात्कार व निर्वस्त्र करने का वीडियो वायरल हुआ तो प्रधानमंत्री जी ने मीडिया को सम्बोधित करते हुए भारी संवेदनहीनता का परिचय दिया तथा राजस्थान व छतीसगढ़ के मसले उठाकर मणिपुर मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश की। उनका बयान पूरी तरह गैर जिम्मेदाराना था व उन्होंने देश में बलात्कार, सामूहिक हत्याओं व हिंसा की घटनाओं जैसे संवेदनशील मुद्दों को राजनीति का शिकार बना दिया।

हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आपराधिक चुप्पी का विरोध करते हैं, जब उन्होंने पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ी है और महिलाओं पर जघन्य हमले की निंदा की है। परन्तु मोदी ने एक पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के 10 राजनीतिक दलों के नेताओं सहित मणिपुरी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात नहीं की और उन्हें लगभग 15 दिनों तक दिल्ली में इंतजार करने के बाद वापस लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा। नरेंद्र मोदी ने भारत के प्रधान मंत्री बने रहने का नैतिक अधिकार खो दिया है क्योंकि वह कानून के शासन की व्यापकता सुनिश्चित करने और भारतीय संविधान द्वारा गारंटीकृत अधिकारों की रक्षा करने में विफल रहे हैं। किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में नागरिकों के यह मंजूर नहीं हो सकता है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह, देश के प्रधानमंत्रीनरेन्द्र मोदी व देश के गृह मंत्री अमित शाह की कार्यप्रणाली मणिपुर हिंसा में संदेह के घेरे में रही है। उनकी अक्षमता, पक्षपात व भेदभाव पूर्ण कार्यप्रणाली के कारण मणिपुर व देश की जनता का विश्वास मणिपुर की भाजपा सरकार व केंद्र सरकार से पूर्णतः उठ चुका है।

इसलिए हम मणिपुर हिंसा पर तत्काल रोक लगाने और मणिपुर के मुख्यमत्री बिरेन सिंह, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अक्षम, भेदभाव व पक्षपात पूर्ण कार्यप्रणाली के कारण उन्हें तत्काल अपने पदों से हटाने की माँग करते हैं।

इस धरने प्रदर्शन में किसान सभा ज़िला अध्यक्ष प्रेम चौहान, रणजीत, बंटी, राहुल, दिनेश मेहता, राहुल, देवेन्द्र, ललिता, राहुल विद्यार्थि, उर्मिला, ललित, प्रीति, राजू राणा, गुडू राम, अशोक, नीलम, किशोरी लाल, सुना मणि, सुकृति आदि मौजूद रहे।

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