मंडी। न्यूज व्यूज पोस्ट।
“अगर अब नहीं रोका, तो शायद हमेशा के लिए खो दूंगी!”— ये शब्द हैं हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की यशोदा देवी के, जिन्होंने अपने बेटे को नशे की गर्त में डूबते देखा और उसे बचाने के लिए ऐसा फैसला लिया, जो किसी भी मां के लिए आसान नहीं होता।
जब ममता ने लिया कठोर फैसला
कटयाहूं गांव की यशोदा देवी का 31 वर्षीय बेटा ढमेश्वर कभी एक होनहार खिलाड़ी था। बॉक्सिंग और कुश्ती में उसका भविष्य उज्ज्वल था, लेकिन नौकरी न मिलने की मायूसी उसे धीरे-धीरे नशे की दलदल में ले गई। मां ने बेटे को समझाने की हर कोशिश की, मगर जब कोई उपाय नहीं बचा, तो उन्होंने खुद पुलिस को सूचना देकर अपने ही बेटे की गिरफ्तारी करवा दी।
घर से मिला नशे का सामान, बेटा गिरफ्तार
पुलिस की एसआईयू टीम ने घर में छापा मारा, जहां अलमारी से 5.8 ग्राम चिट्टा (हेरोइन) बरामद हुआ। पुलिस ने तुरंत ढमेश्वर को गिरफ्तार कर लिया और उसके खिलाफ NDPS एक्ट के तहत मामला दर्ज किया।
“मेरा बेटा खो गया, लेकिन मैं उसे मरने नहीं दूंगी”
बेटे की गिरफ्तारी के बाद यशोदा देवी के शब्द हर किसी को झकझोर गए। उन्होंने कहा,
“मेरा बेटा कभी ऐसा नहीं था। वह खिलाड़ी था, पढ़ा-लिखा था, लेकिन नौकरी न मिलने की वजह से तनाव में आकर नशे की लत में पड़ गया। हमने बहुत समझाया, मगर वह नहीं बदला। आखिरकार, मैंने दिल पर पत्थर रखकर पुलिस को बुलाया। अब उम्मीद है कि वह नशे की गिरफ्त से बाहर आ सकेगा।”
नशे के खिलाफ मिसाल बनी मां
यशोदा देवी का यह कदम समाज के लिए एक बड़ा संदेश है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि असली प्यार सिर्फ लाड़-प्यार नहीं, बल्कि सही दिशा दिखाने में भी है—चाहे उसके लिए कठोर फैसले ही क्यों न लेने पड़ें।
समस्या सिर्फ नशे की नहीं, बेरोजगारी की भी है
यह घटना यह भी दिखाती है कि रोजगार की कमी किस तरह युवाओं को गलत राह पर धकेल रही है। अगर उन्हें समय पर सही अवसर मिलें, तो शायद वे नशे की चपेट में न आएं।
यशोदा देवी की हिम्मत ने पूरे हिमाचल ही नहीं, बल्कि पूरे देश को सोचने पर मजबूर कर दिया है—क्या हमारा समाज नशे की बढ़ती लत को रोकने के लिए तैयार है?